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वेसेज्जा
ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र १०४-१०६ ५. सीओदगवियडेण वा से आयम- ५. शीतोदकविकटेन वा तस्याः आचा- ५. नदी, तालाब आदि में स्नान करती माणीए सुक्कपोग्गला अणुप- मन्त्योः शुक्रपुद्गलाः अनुप्रविशेयु:- हुई के योनि-देश में शुक्र-पुद्गलों के अनु
प्रविष्ट हो जाने पर। इच्चेतेहि पंचहि ठाणेहि इत्थी इत्येतैः पञ्चभिः स्थानैः स्त्री पुरुषेण । इन पांच कारणों से स्त्री पुरुष का सहवास पुरिसेणं सद्धि असंक्समाणीवि साधू असंवसन्ती गर्भ धरेत् ।
न करती हुई भी गर्भ को धारण कर गब्भं धरेन्जा।
सकती है। १०४. पंचहि ठाणेहि इत्थी पुरिसेण सद्धि पञ्चभिः स्थानः स्त्री पुरुषेण सार्ध १०४. पांच कारणों से स्त्री पुरुष का सहवास
संबसमाणीवि गबमं जो धरेज्जा, संवसन्त्यपि गर्भ नो धरेत्, तद्यथा-- करती हुई भी गर्भ को धारण नहीं करती-- तं जहा१. अप्पत्तजोवणा। १. अप्राप्त यौवना।
१. पूर्ण युबति" न होने से, २. अतिकंतजोव्वणा। २. अतिक्रान्तयौवना।
२. विगतयौवना" होने से, ३. जातिवंझा। ३. जातिबन्ध्या।
३. जन्म से ही वध्या होने से, ४. गेलण्णपुट्ठा। ४. ग्लानस्पृष्टा।
४. रोग से स्पृष्ट होने से, ५. दोमणंसिया५. दौर्मनस्यिका
५. शोकग्रस्त होने से। इच्चेतेहि पंचहि ठाणेहि "इत्थी इत्येतैः पञ्चभिः स्थानः स्त्री पुरुषेण इन पांच कारणों से स्त्री पुरुष का सहवास पुरिसेण सद्धि संवसमाणीवि गभं° साधू संवसन्त्यपि गर्भ नो धरेत्। करती हुई भी गर्भ को धारण नहीं करसकती।
णो धरेज्जा। १०५. पंचहि ठाणेहि इत्थी पुरिसेण सद्धि पञ्चभिः स्थानैः स्त्री पुरुषेण साधू संव- १०५. पांच कारणों से स्त्री पुरुष का सहवास
संवसमाणीवि णो गम्भं धरेज्जा, सन्त्यपि नो गर्भ धरेत्, तद्यथा- करती हुई भी गर्भ को धारण नहीं करतीतं जहा१. णिच्चोउया। १. नित्यर्तुका।
१. सदा ऋतुमती रहने से, २. अणोउया। २. अनृतुका।
२. कभी भी ऋतुमती न होने से, ३. वाणण्णसोया। ३. व्यापन्नश्रोताः।
३. गर्भाशय के नष्ट हो जाने से, ४. वाविद्ध सोया। ४. व्याविद्धश्रोताः।
४. गर्भाशय की शक्ति के क्षीण हो जाने से, ५. अणंगपडिसेवणी५. अनङ्गप्रतिषेविणी
५. अप्राकृतिक काम-क्रीड़ा करने, अत्यइच्चेतेहि 'पंचहि ठाणेहं इत्थी इत्येतैः पञ्चभिः स्थानः स्त्री पुरुषेण । धिक पुरुष सहवास करने या अनेक पुरुषों पुरिसेण सद्धि संवसमाणीवि गब्धं साधू संवसन्त्यपि गर्भ नो धरेत्। का सहवास करने से। गोधरेज्जा।
इन पांच कारणों से स्त्री पुरुष का सहवास करती हुई भी गर्भ को धारण नहीं कर
सकती। १०६. पंचहि ठाणेहि इत्थी पुरिसेण सद्धि पभिः स्थानैः स्त्री पुरुषेण साध संव- १०६. पांच कारणों से स्त्री पुरुष का सहवास संवसमाणीवि गम्भं णो धरेज्जा, सन्त्यपि गर्भ नो धरेत्, तद्यथा
करती हई भी गर्भ को धारण नहीं करतीतं जहा
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