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ठाणं (स्थान)
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स्थान ५: सूत्र९८-88
बीओ उद्देसो
महाणदो-उत्तरण-पदं महानदी-उत्तरण-पदम्
महानदी-उत्तरण-पद १८. णो कप्पइ णिग्गंथाणं वा णिग्गं- नो कल्पते निर्ग्रन्थानां वा निर्ग्रन्थीनां वा ६८. निर्ग्रन्थ और निग्रंन्थियों को महानदी के
थीण वा इमाओ उद्दिवाओ गणि- इमाः उद्दिष्टाः गणिताः व्यजिताः पञ्च रूप में कथित, गणित और प्रख्यात इन याओ वियंजियाओ पंच महण्ण- महार्णवा महानद्यः अन्त: मासस्य पांच महार्णव महानदियों का महीने में दो वाओ महाणदीओ अंतो माणस्स द्विकृत्वो वा त्रिकृत्वो वा उत्तरीतुं वा बार या तीन बार से अधिक उत्तरण तथा दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरित्तए संतरीतुं वा, तद्यथा
संतरण नहीं करना चाहिए जैसेवा संतरित्तए वा, तं जहा
१. गंगा, २. यमुना, ३. सरयू, गंगा, जउणा, सरऊ, एरावती, गङ्गा, यमुना, सरयू:, ऐरावती, मही। ४. ऐरावती, ५. मही। मही।
पांच कारणों से वह किया जा सकता हैपंचहि ठाणेहि कप्पति, तं जहा- पञ्चभिः स्थानैः कल्पते, तद्यथा- १. शरीर, उपकरण आदि के अपहरण का १. भयंसि वा, १. भये वा,
भय होने पर, २. दुभिक्खंसि वा, २. दुर्भिक्षे वा,
२. दुर्भिक्ष होने पर, ३. पव्वहेज्ज वा णं कोई, ३. प्रव्यपयेत् (प्रवायेत् ) वा कश्चित्, ३. किसी के द्वारा व्यथित या प्रवाहित ४. दओघंसि वा एज्जमाणंसि ४. उदकौघे वा आयति महता वा, किए जाने पर, महता वा,
४. बाढ़ आ जाने पर, ५. अणारिएसु। ५. अनार्यः ।
५. अनार्यों द्वारा उपद्रत किए जाने पर।
पढमपाउस-पदं प्रथम प्रावृट-पदम्
प्रथम प्रावृट-पद हह. णो कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गं- नो कल्पते निर्ग्रन्थानां वा निर्ग्रन्थीनां वा ६६. निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को प्रथम प्रावट
थीण वा पढमपाउसंसि गामाणु- प्रथमप्रावृषि ग्रामानुग्रामं द्रदितुम् । चातुर्मास के पूर्वकाल में ग्रामानुग्राम गामं दूइज्जित्तए।
विहार नहीं करना चाहिए। पांच कारणों पंचहि ठाणेहि कप्पइ, तं जहा.- पञ्चभिः स्थानैः कल्पते, तद्यथा- से वह किया जा सकता है। १. भयंसि वा, १. भये वा,
१.शरीर, उपकरण आदि के अपहरण का २. दुभिक्खंसि वा, २. दुभिक्षे वा,
भय होने पर, ३. 'पव्वहेज्ज वाणं कोई, ३. प्रव्यपयेत् (प्रवाहयेत्) वा कश्चित्, २. दुर्भिक्ष होने पर, ४. दओघंसि वा एज्जमाणंसि० ४. उदकौघे वा आयति महता वा, ३. किसी के द्वारा व्यथित-ग्राम से महता वा,
निकाल दिए जाने पर, ५. अणारिएहि । ५. अनार्यः ।
४. बाढ़ आ जाने पर, ५. अनायों द्वारा उपद्रत किए जाने पर।
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