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________________ ठाणं (स्थान) ५६७ स्थान : सूत्र ७३ उदिण्ण-परिस्सहोवसग्ग-पदं उदीर्ण-परीषहोपसर्ग-पदम् उदीर्ण-परीषहोपसर्ग-पद ७३. पंचर्चाह ठाणेहि छउमत्थे णं उदिण्णे पञ्चभिः स्थानैः छद्मस्थः उदीर्णान् ७३. पांच स्थानों से छद्मस्थ उदित परीषहों परिस्सहोवसग्गे सम्म सहेज्जा परीपहोपसर्गान् सम्यक सहेत क्षमेत तथा उपसर्गों को अविचल भाव से सहता है, क्षाति रखता है, तितिक्षा रखता है खमेज्जा तितिक्खेज्जा अहिया- तितिक्षेत अध्यासीत, तद्यथा और उनमे अप्रभावित रहता हैसेज्जा, तं जहा१. उदिण्णकम्मे खलु अयं पुरिसे १. उदीर्णकर्मा खलु अयं पुरुषः उन्मत्तक- १. यह पुरुष उदीर्ण कर्मा है, इसलिए यह उम्मत्तगभूते । तेण मे एस पुरिसे भूतः । तेन मां एष पुरुष: आक्रोशति वा उन्मत्त होकर मुझ पर आक्रोश करता है, अक्कोसति वा अवहसति वा अपहसति वा निश्छोटयति वा निर्भर्त्स मुझे गाली देता है, मेरा उपहास करता हैं, मुझे बाहर निकालने की धमकियाँ णिच्छोडेति वा णिभंछेति वा यति वा बध्नाति वा रुणद्धि वा छविच्छेद देता है, मेरी निर्भर्त्सना करता है, मुझे बंधेति वा रुभति वा छविच्छेदं करोति वा, प्रमारं वा नयति, उपद्रवति बाँधता है, रोकता है, अंगविच्छेद करता करेति वा, पमारं वा णेति, वा, वस्त्रं वा प्रतिग्रह वा कम्बलं वा है, पमारणमूच्छित करता है, उपद्रत उद्दवेइ वा, वत्थं वा पडिग्गहं पादप्रोञ्छनं आच्छिनत्ति वा विच्छिनत्ति करता है. वस्त्र, पात्र, कंबल, पादप्रोंच्छन आदि का आच्छेदन" करता है, विच्छेवा कंबलं वा पायपुंछणच्छिदति वा भिनत्ति वा अपहरति वा । दन करता है, भेदन करता है या अपवा विच्छिदति वा भिदति हरण करता है। वा अवहरति वा। २. जक्खाइट्ठ खलु अयं पुरिसे। २. यक्षाविष्ट: खलु अयं पुरुषः । तेन मां २. यह पुरुष यक्षाविष्ट है, इसलिए यह तेण मे एस पुरिसे अक्कोसति वा एष पुरुषः आक्रोशति वा अपहसति वा मुझ पर आक्रोश करता है. मुझे गाली देता है, मेरा उपहास करता है, मुझे बाहर अवहसति वा णिच्छोडेति वा निश्छोटयति वा निर्भर्त्सयति वा बध्नाति निकालने की धमकियां देता है, मेरी णिन्भंछेति वा बंधेति वा रु भति वा रुणद्धि वा छविच्छेदं करोति वा, निर्भर्त्सना करता है, मुझे बांधता है. वा छविच्छेदं करेति वा, पमारं प्रमारं वा नयति, उपद्रवति वा, वस्त्रं रोकता है, अंगविच्छेद करता है, मूच्छित वा णेति, उद्दवेइ वा, वत्थं वा वा प्रतिग्रहं वा कम्बलं वा पादप्रोञ्छनं करता है, उपद्रुत करता है, वस्त्र, पात्र, कंबल, पादपोंछन आदि का आच्छेदन पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपंछ- आच्छिनत्ति वा विच्छनत्ति वा भिनत्ति करता है, विच्छेदन करता है, भेदन करता णच्छिदति वा विच्छिदति बा वा अपहरति वा। है या अपहरण करता है। भिदति वा अवहरति वा। ३. ममं च णं तब्भववेयणिज्जे ३. सम च तदभववेदनीयं कर्म उदीर्ण ३. इस भाव में मेरे वेदनीय कर्म उदित हो कम्मे उदिण्णे भवति । तेण मे एस भवति । तेन मां एष पूरुपः आक्रोशति गए हैं, इसलिए यह पुरुष मुझ पर आक्रोश पुरिसे अक्कोसति वा अवहसति वा अपहसति वा निश्छोटयति वा करता है, मुझे गाली देता है, मेरा उपहास करता है, मुझे बाहर निकालने की धमवा णिच्छोडेति वा णिभंछेति वा निर्भर्त्सयति वा बध्नाति वा रुणद्धि वा कियां देता है, मेरी निर्भर्त्सना करता है, बंधेति वा रु भति वा छविच्छेदं छविच्छेदं करोति वा, प्रमारं वा नयति, मुझे बांधता है, रोकता है, अंगविच्छेद करेति वा, पमारं वा णेति, उद्दवेइ उपद्रवति वा, वस्त्रं वा प्रतिग्रह वा करता है, मूच्छित करता है, उपद्रुत करता वा, वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं कम्बलं वा पादप्रोञ्छनं आच्छिनत्ति वा है, वस्त्र, पात्र, कंबल, पादपोंच्छन आदि वा पायपुंछणमच्छिदति वा विच्छिनत्ति बा भिनत्ति वा अपहरति का आच्छेदन करता है, विच्छेदन करता करता है, भेदन करता है या अपहरण विच्छिदति वा भिदति वा वा। करता है। अवहर्रात वा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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