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कुमाररण्णो पंच संगामिया
ठाणं (स्थान)
स्थान ४ : सूत्र ६०-६२ ६०. भूयाणंदस्स णं णागकुमारिदस्स भूतानन्दस्य नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमार- ६०. नागकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूतानन्द के
णागकुमाररण्णो पंच, संगामि- राजस्य पञ्च सांग्रामिकानीकानि, पञ्च संग्राम करने वाली पांच सेनाएं तथा पांच याणिया, पंच संगामियाणियाहिवई सांग्रामिकानीकाधिपतयः प्रज्ञप्ताः , सेनापति हैंपण्णत्ता, तं जहातदयथा
सेनाएंपायत्ताणिए जाव रहाणिए। पादातानीकं यावत् रथानीकम्, १. पादातानीक, २. पीठानीक, दक्खे पायत्ताणियाहिवई, दक्षः पादातानीकाधिपतिः,
३. कुंजरानीक, ४. महिषानीक, सुग्गीवे आसराया पोढाणियाहिवई, सुग्रीव अश्वराजः पीठानीकाधिपतिः, ५. रथानीक। सुविक्कमे हत्थिराया कुंजराणिया- सुविक्रमः हस्तिराजः कुञ्जरानीकाधि- सेनापतिहिवई, सेयकंठे महिसाणियाहिवई, पतिः,
१. दक्ष-पादातानीक अधिपति, णंदुत्तरे रहाणियाहिवई। श्वेतकण्ठः महिषानीकाधिपतिः,
२. अश्वराज सुग्रीव-पीठानीक अधिपति। नन्दोत्तरः रथानीकाधिपतिः ।
३.हस्तिराज सुविक्रम-कुंजरानीक अधिपति, ४. श्वेतकंठ-महिषानीक अधिपति,
५. नन्दोत्तर-रथानीक अधिपति । ६१. वेणुदेवस्स णं सुण्णिदस्स सुवण्ण- वेणुदेवस्य सुपर्णेन्द्रस्य सुपर्णकुमार- ६१. सुपर्णेन्द्र सुपर्णराज वेणुदेव के संग्राम करने
पंच संगामियाणिया, राजस्य पञ्च सांग्रामिकानीकानि, पञ्च वाली पांच सेनाएं और पांच सेनापति हैंपंच संगामियाणियाहिपती पण्णत्ता, सांग्रामिकानीकाधिपतयः प्रज्ञप्ताः, सेनाएंतं जहातद्यथा---
१. पादातानीक, २. पीठानीक, पायत्ताणिए । एवं जधा धरणस्स पादातानीकम् । एवं यथा धरणस्य तथा ३. कुंजरानीक, ४. महिषानीक, तधा वेणुदेवस्सवि। वेणुदेवस्यापि।
५. रथानीक। वेणुदालियस्स जहा भूताणंदस्स। वेणुदालिकस्य यथा भूतानन्दस्य । सेनापति
१. भद्रसेन-पादातानीक अधिपति, २. अश्वराज यशोधर-पीठानीक अधिपति, ३. हस्तिराज सुदर्शन-कुंजरानीक अधिपति, ४. नीलकंठ-महिषानीक अधिपति,
५. आनन्द-रथानीक अधिपति । ६२. जधा धरणस्स तहा सव्वेसि यथा धरणस्य तथा सर्वेषां दाक्षिणा- ६२. दक्षिण दिशा के शेष भवनपति इन्द्रदाहिणिल्लाणं जाव घोसस्स। त्यानां यावत् घोषस्य ।
हरिकान्त, अग्निशिख, पूर्ण, जलकान्त, अमितगति, वेलम्ब तथा घोप के भी पादातानीक आदि पांच संग्राम करने वाली सेनाएं तथा भद्रसेन, अश्वराज, यशोधर, हस्तिराज सुदर्शन नीलकंठ और आनन्द ये पांच सेनापति हैं।
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