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ठाणं (स्थान)
स्थान ५: सूत्र ६३-६५ ६३. जधा भूताणंदस्स तथा सव्वेसि यथा भूतानन्दस्य तथा सर्वेषां औदी- ६३. उत्तर दिशा के शेष भवनपति इन्द्रउत्तरिल्लाणं जाव महाघोसस्स। च्यानां यावत् महाघोषस्य ।
वेणुदालि,हरिस्सह, अग्निमानव, विशिष्ट, जलप्रभ, अमितवाहन, प्रभंजन और महाघोष के भी पादातानीक आदि पांच संग्राम करने वाली सेनाएं तथा दक्ष, अश्वराज सुग्रीव, हस्तिराज, सुविक्रम, श्वेतकंठ और
नन्दोत्तर ये पांच सेनापति हैं। ६४. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो शत्रस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य पञ्च ६४. देवेन्द्र देवराज शक्र के संग्राम करने वाली
पंच संगामिया अणिया, पंच संगा- सांग्रामिकाणि अनीकानि, पञ्च सांग्रा- पांच सेनाएं और पांच सेनापति हैंमियाणियाधिवती पण्णत्ता, तं मिकानोकाधिपतयः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- सेनाएंजहा
१. पादातानीक, २. पीठानीक, पायत्ताणिए पीढाणिए कुंजराणिए पादातानीकं पीठानीकं कुञ्जरानीक ३. कुंजरानीक, ४. वृषभानीक, उसभाणिए रधाणिए। वृषभानीक रथानीकम्।
५. रथानीक । हरिणेगमेसी पायत्ताणियाधिवती, हरिनैगमेषी पादानीकाधिपतिः, सेनापतिवाऊ आसराया पीढाणियाधिवती, वायु: अश्वराजः पीठानीकाधिपतिः, १. हरिनगमेषी-पादातानीक अधिपति, एरावणे हत्थिराया कुंजराणिया- ऐरावणः हस्तिराजः कुञ्जरानीकाधि- २. अश्वराज वायु-पीठानीक अधिपति, धिपती, दामट्टी उसभाणियाधिपती, पतिः,
३. हस्तिराज ऐरावण-कुंजरानीक अधिपति माढरे रधाणियाधिपती। दामधिः वृषभानीकाधिपतिः,
४. दामधि-वृषभानीक अधिपति, माठरः रथानीकाधिपतिः।
५. माठर-रथानीक अधिपति । ६५. ईसाणस्स णं देविदस्स देवरण्णो ईशानस्य देवेन्द्रस्य देवराजस्य पञ्च ६५. देवेन्द्र देवराज ईशान के संग्राम करने पंच संगामिया अणिया जाव सांग्रामिकानीकानि यावत्
वाली पांच सेनाएं और पांच सेनापति हैंपायत्ताणिए, पीडाणिए, पादातानीक, पीठानीक, कुञ्जरानीक, सेनाएंकुंजराणिए, उसभाणिए, वृषभानीक, रथानोकम् ।
१. पादातानीक, २. पीठानीक, रधाणिए।
३. कुंजरानीक, ४. वृषभानीक, लहुपरक्कमे पायत्ताणियाधिवती, लघुपराक्रमः पादातानीकाधिपतिः, ५. रथानीक । महावाऊ आसराया पीढाणिया- महावायुः अश्वराजः पीठानीकाधिपतिः, सेनापतिहिवती, पुप्फदंते हत्थिराया पुष्पदन्तः हस्तिराजः कुञ्जरानीकाधि- १. लघुपराक्रम-पादातानीक अधिपति, कुंजराणियाहिवती, पतिः ,
२. अश्वराज महावायु-पीठानीक अधिपति, महादामड्डी उसभाणियाहिवती। महादामधिः वृषभानीकाधिपतिः। ३.हस्तिराज पुष्पदंत-कुंजरानीक अधिपति, महामाढरे रधाणियाहिवती। महामाठरः रथानीकाधिपतिः । ४. महादामधि-वृषभानीक अधिपति,
५. महामाठर-रथानीक अधिपति ।
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