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________________ ठाणं (स्थान) स्थान १ : सूत्र २३५-२४८ २३५. एगा जहाणपएसियाणं खंधाणं एका जघन्यप्रदेशिकानां स्कन्धानां २३५. जघन्य-प्रदेशी स्कन्धों की वर्गणा एक वगणा। वर्गणा। २३६. एगा उक्कस्सपएसियाणं खंधाणं एका उत्कर्षप्रदेशिकानां स्कन्धानां २३६. उत्कृष्ट-प्रदेशी स्कन्धों की वर्गणा एक वग्गणा। वर्गणा। २३७. एगा अजहण्णुक्कस्सपएसियाणं एका अजघन्योत्कर्षप्रदेशिकानां स्कंधानां २३७. मध्यम (न जघन्य, न उत्कृष्ट) प्रदेशी खंधाणं वग्गणा। वर्गणा। स्कन्धों की वर्गणा एक है। २३८. 'एगा जहण्णोगाहणगाणं खंधाणं एका जघन्यावगाहनकानां स्कन्धानां २३८. जघन्य अवगाहना वाले स्कन्धों की वग्गणा। वर्गणा। वर्गणा एक है। २३९. एगा उक्कोसोगाहणगाणं खंधाणं एका उत्कर्षावगाहनकानां स्कन्धानां २३६. उत्कृष्ट अवगाहना वाले स्कन्धों की वग्गणा। वर्गणा। वर्गणा एक है। २४०. एगा अजहण्णुक्कोसोगाहणगाणं एका अजघन्योत्कर्षावगाहनकानां २४०. मध्यम (न जघन्य, न उत्कृष्ट) अवगाहना खंधाणं वग्गणा। स्कन्धानां वर्गणा। वाले स्कन्धों की वर्गणा एक है। २४१. एगा जहण्णठितियाणं खंधाणं एका जघन्यस्थितिकानां स्कन्धानां २४१. जघन्य स्थिति वाले स्कन्धों की वर्गणा वग्गणा। वर्गणा। २४२. एगा उक्कस्सठितियाणं खंधाणं एका उत्कर्ष स्थितिकानां स्कन्धानां २४२. उत्कृष्ट स्थिति वाले स्कन्धों की वर्गणा वग्गणा। वर्गणा। २४३. एगा अजहण्णुक्कोसठितियाणं एका अजघन्योत्कर्षस्थितिकानां २४३. मध्यम (न जघन्य, न उत्कृष्ट) स्थिति खंधाणं वग्गणा। स्कन्धानां वर्गणा। वाले स्कन्धों की वर्गणा एक है। २४४. एगा जहण्णगुणकालगाणं खंधाणं एका जघन्यगणकालकानां स्कन्धानां २४४. जघन्य गुण काले स्कन्धों की वर्गणा वग्गणा। वर्गणा। २४५. एगा उपकस्सगुणकालगाणं लकानां स्कन्धानां २४५. उत्कृष्ट गुण काले स्कन्धों की वर्गणा खंधाणं वग्गणा। वर्गणा। एक है। २४६. एगा अजहण्णुक्कस्सगुणकालगाणं एका अजघन्योत्कर्षगुणकालकानां २४६. मध्यम (न जघन्य, न उत्कृष्ट) गुण काले दंधाणं वग्गणा। स्कन्धानां वर्गणा। स्कन्धों की वर्गणा एक है। २४७. एवं-वण्ण-गंध-रस-फासाणं एवम-वर्ण-गन्ध-रस-स्पर्शानां वर्गणा २४७. इसी प्रकार शेष सभी वर्ण, गन्ध, रस वग्गणा भाणियवा जाव भणितव्याः यावत् एका अजघन्योत्कर्ष- और स्पर्शों के जघन्यगुण,उत्कृष्टगुण और एगा अजहण्णुक्कस्सगुणलुक्खाणं गुणरूक्षाणां पुद्गलानां (स्कन्धानां ?) मध्यम (न जघन्य, न उत्कृष्ट) गुण वाले पोग्गलाणं (खंधाणं?) वग्गणा। वर्गणा। पुद्गलों(स्कन्धों?)की वर्गणाएक-एक है। वग जंबुद्दोव-पदं जम्बूद्वीप-पदम् जम्बूद्वीप-पद २४८. एगे जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं एको जंबूद्वीपो द्वीपः सर्वद्वीपसमुद्राणां २४८. सब द्वीपों और समुद्रों में जम्बूद्वीप नाम 'सव्वन्भंतराए सव्वखुड्डाए, वट्टे सर्वाभ्यन्तरकः सर्वक्षुद्रकः, वृत्तः का एक द्वीप है। वह सब द्वीपसमुद्रों के तेल्लापूयसंठाणसंठिए, बट्टे तैलापूपसंस्थानसंस्थितः, वृत्त: रथ- मध्य में है। वह सबसे छोटा है। वह रहचक्कवालसंठाणसंठिए, वट्टे चक्रवालसंस्थानसंस्थितः, वृत्तः पुष्कर- तेल के पूडे के संस्थान जैसा, रथ के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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