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________________ १४ ठाणं (स्थान) स्थान १ : सूत्र २०५-२२१ २०५. एगा कण्हलेसाणं अभवसिद्धियाणं एका कृष्णलेश्यानां अभवसिद्धिकानां २०५. कृष्णलेश्या वाले अभवसिद्धिक नारकीय परइयाणं वग्गणा। नैरयिकाणां वर्गणा। जीवों की वर्गणा एक है। २०६. एवं-जस्स जति लेसाओ तस्स एवम्-यस्य यति लेश्याः तस्य तावत्यः २०६. इसी प्रकार जिनके जितनी लेश्याएं होती ततिथाओ भाणियवाओ जाव भणितव्याः यावत् वैमानिकानाम् । हैं, उनके अनुपात से भवसिद्धिक और वेमाणियाणं। अभवसिद्धिक वैमानिक पर्यन्त सभी दण्डकों की वर्गणा एक-एक है। २०७. एगा कण्हलेसाणं सम्मदिट्ठियाणं एका कृष्णलेश्यानां सम्यग्दृष्टिकानां २०७. कृष्णलेश्या वाले सम्यक्दृष्टिक जीवों की वग्गणा। वर्गणा। वर्गणा एक है। २०८. एगा कण्हलेसाणं मिच्छद्दिट्ठियाणं एका कृष्णलेश्यानां मिथ्यादृष्टिकानां २०८. कृष्णलेश्या वाले मिथ्यादृष्टिक जीवों की वग्गणा। वर्गणा। __ वर्गणा एक है। २०६. एगा कण्हलेसाणं सम्मामिच्छ- एका कृष्णलेश्यानां सम्यगमिथ्या- २०६. कृष्णलेश्या वाले सम्यमिथ्यादृष्टिक द्दिट्ठियाणं वग्गणा। दप्टिकानां वर्गणा। जीवों की वर्गणा एक है। २१०. एवं-छसुवि लेसासु जाव एवम्-षट्प्वपि लेश्यासु यावत् २१०. इसी प्रकार कृष्ण आदि छहों लेश्या वाले वेमाणियाणं जेसि जइ दिट्ठीओ। वैमानिकानां यस्मिन् यति दृष्टयः। वैमानिक पर्यन्त सभी जीवों में, जिन जीवों में जितनी दृष्टियां होती हैं, उनके अनुपात से उनकी एक-एक वर्गणा है। २११. एगा कण्हलेसाणं कण्हपक्खियाणं एका कृष्णलेश्यानां कृष्णपाक्षिकाणां २११. कृष्णलेश्या वाले कृष्ण-पाक्षिक जीवों की वग्गणा। वर्गणा। वर्गणा एक है। २१२. एगा कण्हलेसाणं सुक्कपविखयाणं एका कृष्णलेश्यानां शुक्लपाक्षिकाणां २१२. कृष्णलेश्या वाले शुक्ल-पाक्षिक जीवों की वग्गणा। वर्गणा। वर्गणा एक है। २१३. जाद वेमाणियाणं जस्स जति यावत् वैमानिकानां यस्य यति लेश्याः। २१३. इसी प्रकार जिनमें जितनी लेश्याएं होती लेसाओ। हैं, उनके अनुपात से कृष्ण-पाक्षिक और एए अष्ट्र, चउबीसदंडया। एते अष्ट, चतुर्विशतिदण्डकाः। शुक्ल-पाक्षिक जीवों की वर्गणा एक-एक है। ये ऊपर बताए हुए चौबीस दण्डकों की वर्गणा के आठ प्रकरण हैं। सिद्ध-पदं सिद्ध-पदम् २१४. एगा तित्थसिद्धाणं वग्गणा। एका तीर्थसिद्धानां वर्गणा। २१५. एगा अतित्थसिद्धाणं वग्गणा। एका अतीर्थसिद्धानां वर्गणा। २१६. 'एगा तित्थगरसिद्धाणं वग्गणा। एका तीर्थकरसिद्धानां वर्गणा। २१७. एगा अतित्थगरसिद्धाणं वगणा। एका अतीर्थकरसिद्धानां वर्गणा। २१८. एगा सयंबुद्ध सिद्धाणं वागणा। एका स्वयंबुद्धसिद्धानां वर्गणा। २१६. एगा पत्तेयबुद्ध सिद्धाणं वग्गणा। एका प्रत्येकबुद्धसिद्धानां वर्गणा। २२०. एगा बृद्धबोहियसिद्धाणं वग्गणा। एका बुद्धबोधितसिद्धानां वर्गणा। २२१. एगा इत्थीलिंगसिद्धाणं वग्गणा। एका स्त्रीलिङ्गसिद्धानां वर्गणा। सिद्ध-पद २१४. तीर्थ-सिद्धो" की वर्गणा एक है। २१५. अतीथ-सिद्धो की वर्गणा एक है। २१६. तीर्थङ्कर-सिद्धों की वर्गणा एक है। २१७. अतीर्थङ्कर-सिद्धो की वर्गणा एक है। २१८. स्वयंबुद्ध-सिद्धों की वर्गणा एक है। २१६. प्रत्येकबुद्ध-सिद्धों की वर्गणा एक है। २२०. बुद्धबोधित-सिद्धो" की वर्गणा एक है। २२१. स्त्रीलिंग-सिद्धो की वर्गणा एक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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