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ठाणं (स्थान)
स्थान ४ : सूत्र ५६१-५६२ ५६१. चत्तारि कुंभा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः कुम्भाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५६१. कुंभ चार प्रकार के होते हैंपुण्णे णाममेगे पुण्णोभासी, पूर्णः नामकः पूर्णावभासी,
१. कुछ कुंभ आकार से पूर्ण होते हैं और पुण्णे णाममेगे तुच्छोभासी, पूर्णः नामकः तुच्छावभासी,
पूर्ण ही लगते हैं, २. कुछ कुंभ आकार से तुच्छे गाममेगे पुण्णोभासी, तुच्छ: नामैक: पूर्णावभासी,
पूर्ण होते हैं, पर अपूर्ण से लगते हैं, ३. कुछ तुच्छे णाममेगे तुच्छोभासी। तुच्छ: नामैकः तुच्छावभासी।
कुंभ आकार से अपूर्ण होते हैं, पर पूर्ण से लगते हैं, ४. कुछ कुंभ आकार से अपूर्ण
होते हैं और अपूर्ण ही लगते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथा-- पुणे णाममेगे पुण्णोभासी, पूर्णः नामैकः पूर्णावभासी,
१. कुछ पुरुष धन,श्रुत आदि से पूर्ण होते हैं पुण्णे गाममेगे तुच्छोभासी, पूर्णः नामैक: तुच्छावभासी,
और विनियोग करने के कारण पूर्ण ही तुच्छे णाममेगे पुण्णोभासी,
तुच्छ: नामैक: पूर्णावभासी, लगते हैं, २. कुछ पुरुष धन, श्रुत आदि से तुच्छे णाममेगे तुच्छोभासी। तुच्छ: नामैकः तुच्छावभासी। पूर्ण होते हैं, पर उनका विनियोग नहीं
करने के कारण अपूर्ण से लगते हैं, ३. कुछ पुरुष धन,श्रुत आदि से अपूर्ण होते हैं, पर उनका विनियोग करने के कारण पूर्ण से लगते हैं, ४. कुछ पुरुष धन, श्रुत आदि से अपूर्ण होते हैं और उनका विनियोग नहीं
करने के कारण अपूर्ण ही लगते हैं। ५६२. चत्तारि कुंभा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः कुम्भाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५६२. कुंभ चार प्रकार के होते हैं-- पुण्णे णाममेगे पुण्णरूवे, पूर्णः नामकः पूर्णरूपः,
१. कुछ कुंभ जल आदि से पूर्ण होते हैं पुण्णे णाममेगे तुच्छरूवे,
और उनका रूप-आकार भी पूर्ण होता पूर्ण: नामैक: तुच्छरूपः, तुच्छे णाममेगे पुण्णरूवे,
है, २. कुछ कुंभ जल आदि से पूर्ण होते हैं, तुच्छ: नामैक: पूर्णरूपः,
पर उनका रूप पूर्ण नहीं होता, ३. कुछ तुच्छे णाममेगे तुच्छरूवे। तुच्छ: नामक: तुच्छरूपः ।
कुंभ जल आदि से अपूर्ण होते हैं, पर उनका रूप पूर्ण होता है, ४. कुछ कुंभ जल आदि से अपूर्ण होते हैं और उनका रूप
भी अपूर्ण होता है। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष श्रुत आदि से भी पूर्ण होते हैं पुण्णे णाममेगे पुण्णरूवे, पूर्णः नामकः पूर्णरूपः,
और रूप-वेष से भी पूर्ण होते है, २. कुछ पुण्णे णाममेगे तुच्छरूवे, पूर्णः नामैक: तुच्छरूपः,
पुरुष श्रुत आदि से पूर्ण होते हैं, पर रूप तुच्छे णाममेगे पुण्णरूवे, तुच्छ: नामैक: पूर्णरूपः,
से अपूर्ण होते हैं, ३. कुछ पुरुष श्रुत आदि तुच्छे णाममेगे तुच्छरूवे। तुच्छ: नामैक: तुच्छरूपः।
से अपूर्ण होते हैं, पर रूप से पूर्ण होते हैं, ४. कुछ पुरुष श्रुत आदि से भी अपूर्ण होते है और रूप से भी अपूर्ण होते हैं।
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