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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४: सूत्र ५८५-५६०
तरग-पदं तरक-पदम्
तरक-पद ५८८. चत्तारि तरगा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः तरकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५८८. तैराक चार प्रकार के होते हैं
समुदं तरामीतेगे समुदं तरति, समुद्रं तरामीत्येक: समुद्रं तरति, १. कुछ तैराक समुद्र को तैरने का संकल्प समुदं तरामीतेगे गोप्पयं तरति, समुद्रं तरामीत्येक: गोष्पदं तरति, करते हैं और उसे तैर भी जाते हैं, २. कुछ गोप्पयं तरामीतेगे समुदं तरति, गोष्पदं तरामीत्येक: समुद्रं तरति, तैराक समुद्र को तैरने का संकल्प करते गोप्पयं तरामीतेगे गोप्पयं तरति। गोष्पदं तरामीत्येकः गोष्पदं तरति । है और गोष्पद को तैरते है, ३. कुछ तैराक
गोष्पद को तैरने का संकल्प करते हैं और समुद्र को तैर जाते हैं, ४. कुछ तैराक गोष्पद को तैराने का संकल्प करते हैं
और गोष्पद को ही तैरते हैं। ५८६. चत्तारि तरगा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः तरकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५८६. तैराक चार प्रकार के होते हैं---
समुदं तरेत्ता णाममेगे समुद्दे समुद्रं तरीत्वा नामकः समुद्रे विषीदति, १. कुछ तैराक सारे समुद्र को तैरकर विसीयति, समुदं तरेत्ता णाममेगे समुद्रतरीत्वा नामैक: गोष्पदे विषीदति, किनारे पर आकर विषण्ण हो जाते हैं, गोप्पए विसीयति, गोप्पयं तरेत्ता गोष्पदंतरीत्वा नामैकः समुद्रे विषीदति, २. कुछ तैराक समुद्र को तैरकर गोष्पद णाममेगे समुद्दे विसीयति, गोप्पयं गोष्पदंतरीत्वा नामैक: गोष्पदे विषीदति। में विषण्ण हो जाते हैं, ३. कुछ तैराक तरेत्ता णाममेगे गोप्पए विसीयति।
गोष्पद को तैरकर समुद्र में विषण्ण हो जाते हैं, ४. कुछ तैराक गोष्पद को तैरकर
गोष्पद में ही विषण्ण हो जाते हैं। पुण्ण-तुच्छ-पदं पूर्ण-तुच्छ-पदम्
पूर्ण-तुच्छ-पद ५६०. चत्तारि कुंभा पण्णता, तं जहा- चत्वारः कुम्भाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
५६०. कुंभ चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ कुंभ आकार से भी पूर्ण होते हैं पुण्णे णाममेगे पुण्णे, पूर्णः नामैकः पूर्णः,
और मधु आदि द्रव्यों से भी पूर्ण होते हैं, पुण्णे गाममेगे तुच्छे, पूर्णः नामैकः तुच्छ:,
२. कुछ कुंभ आकार से पूर्ण होते हैं, पर
मधु आदि द्रव्यों से रिक्त होते है, ३. कुछ तुच्छे णाममेगे पुण्णे, तुच्छः नामक: पूर्णः,
कुंभ मधु आदि द्रव्यों से अपूर्ण होते हैं, तुच्छे णाममेगे तुच्छे। तुच्छ: नामैक: तुच्छः ।
पर आकार से पूर्ण होते हैं, ४. कुछ कुंभ मधु आदि द्रव्यों से भी अपूर्ण होते हैं और
आकार से भी अपूर्ण होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथापुणे णाममेगे पुणे, पूर्णः नामकः पूर्णः,
१. कुछ पुरुष आकार से पूर्ण होते हैं और
गुणों से भी पूर्ण होते हैं. २. कुछ पुरुष पुण्णे णाममेगे तुच्छे, पूर्णः नामैकः तुच्छ:,
आकार से पूर्ण होते हैं, पर गुणों से अपूर्ण तुच्छे णाममेगे पुण्णे, तुच्छ: नामैक: पूर्णः,
होते हैं, ३. कुछ पुरुष आकार से अपुर्ण तुच्छे णाममेगे तुच्छे। तुच्छ: नामैक: तुच्छः ।
होते हैं, पर गुणों से पूर्ण होते हैं, ४. कुछ पुरुष आकार से भी अपूर्ण होते हैं और गुणों से भी अपूर्ण होते हैं।
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