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________________ ठाणं (स्थान) ४५३ स्थान ४ : सूत्र ५४५-५४८ गोल-पदं गोल-पदम् गोल-पद ५४५. चत्तारि गोला पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः गोलाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५४५. गोले चार प्रकार के होते हैं मधुसित्थगोले, जउगोले, दारुगोले, मधुसिक्थगोलः, जतुगोलः, दारुगोलः, १. मधुसिक्थ-मोम का गोला, २. जतुमट्टियागोले। मृत्तिकागोलः । लाख का गोला, ३. दारु-काष्ठ का गोला, ४. मृत्तिका-मिट्टी का गोला। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा तद्यथा--- मधुसित्थगोलसमाणे, जउगोल- मधुसिक्थगोलसमानः, जतुगोलसमानः, । १. मधुसिक्थ के गोले के समान, २. जतु समाणे, दारुगोलसमाणे, मट्टिया- दारुगोलसमानः, मृत्तिकागोलसमानः। के गोले के समान, ३. दारु के गोले के गोलसमाणे । समान, ४. मृत्तिका के गोले के समान ५४६. चत्तारि गोला पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः गोलाः प्रज्ञप्ताः , तद्यथा- ५४६. गोले चार प्रकार के होते है --- अयगोले, तउगोले, तंबगोले, अयोगोलः, पुगोलः, ताम्रगोलः, १. लोहे का गोला, २. नपु-राँगे का गोला, सीसगोले। शीशगोलः । ३. ताँबे का गोला, ४. शीशे का गोला। एवामेव चत्तारि परिसजाया एवमेव चत्वारि परुषजातानि प्रज्ञप्तानि. इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा तद्यथाअयगोलसमाणे, 'तउगोलसमाणे, अयगोलसमानः, अपुगोलसमानः, १. लोहे के गोले के समान, २. वपु के तंबगोलसमाणे , सीसगोलसमाणे। ताम्रगोलसमानः, शीशगोलसमानः। गोले के समान, ३. तांबे के गोले के समान, ४. शीशे के गोले के समान ११९ ५४७. चत्तारि गोला पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः गोलाः प्रज्ञप्ताः , तदयथा_ ५४७. गोले चार प्रकार के होते है हिरण्णगोले, सुवण्णगोले, रयण- हिरण्यगोलः, सुवर्णगोलः, रत्नगोलः, १. हिरण्य-चाँदी का गोला, गोले, वयरगोले। वज्रगोलः। २. सुवर्ण–सोने का गोला, ३. रत्न का गोला, ४. बज्ररत्न का गोला। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा- प्रज्ञप्तानि, तद्यथाहिरण्णगोलसमाणे, 'सुवण्णगोल- हिरण्यगोलसमानः, सुवर्णगोलसमान:, १.हिरण्य के गोले के समान, २. सुवर्ण के समाणे, रयणगोलसमाणे, वयर- रत्नगोलसमानः, वज्रगोलसमानः । गोले के समान, ३. रत्न के गोले के समान, गोलसमाणे। ४. वज्ररत्न के गोले के समान २० । पत्त-पदं पत्र-पदम् पत्र-पद ५४८. चत्तारि पत्ता पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारि पत्राणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- ५४८. पत्र-फलक चार प्रकार के होते हैअसिपत्ते, करपत्ते, खुरपत्ते, कलंब- असिपत्रं, करपत्रं, क्षुरपत्रं, कदम्ब १. असिपत्र-तलवार का पत्र, २. करपत्र-करोत का पत्र, ३. क्षुरपत्रचीरियापत्ते। चीरिकापत्रम्। छुरे का पत्र, ४, कदम्बचीरिकापत्रतीखी नोक वाला घास या शस्त्र । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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