________________
स्थान ४ : सूत्र ५४२-५४३
ठाणं (स्थान) ५४२. चत्तारि रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः रुक्षाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-
साले णाममेगे सालपरियाए, शालः नामैक: शालपर्यायकः, साले णाममेगे एरंडपरियाए, शालः नामकः एरण्डपर्यायकः, एरंडे णाममेगे सालपरियाए, एरण्ड: नामैक: शालपर्यायकः, एरंडे णाममेगे एरंडपरियाए। एरण्ड: नामक: एरण्डपर्यायकः ।
५४२. वृक्ष चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ वृक्ष शाल जाति के होते हैं और वे शाल-पर्याय–विस्तृत छाया वाले होते हैं, २. कुछ वृक्ष शाल जाति के होते हैं और वे एरण्ड-पर्याय-अल्प छाया वाले होते हैं, ३. कुछ वृक्ष एरण्ड जाति के होते हैं और वे शाल-पर्याय वाले होते हैं, ४. कुछ वृक्ष एरण्ड जाति के होते हैं और वे एरण्ड-पर्याय वाले होते हैं।
एवामेव चत्तारि आयरिया पण्णत्ता, एवमेव चत्वार: आचार्याः प्रज्ञप्ताः, । इसी प्रकार आचार्य भी चार प्रकार के तं जहातद्यथा
होते हैं
१. कुछ आचार्य शाल जातिमान् ] होते साले णाममेगे सालपरियाए, शालः नामक: शालपर्यायकः,
हैं और वे शाल-पर्याय-ज्ञान, क्रिया, साले णाममेगे एरंडपरियाए, शाल: नामकः एरण्डपर्यायकः,
प्रभाव आदि से सम्पन्न होते हैं, २. कुछ एरंडे णाममेगे सालपरियाए, एरण्ड: नामैक: शालपर्यायकः, आचार्य शाल [जातिमान् ] होते हैं और एरंडे णाममेगे एरंडपरियाए। एरण्डः नामक: एरण्डपर्यायकः । वे एरण्ड-पर्याय-ज्ञान, क्रिया, प्रभाव
आदि से शून्य होते हैं, ३. कुछ आचार्य एरण्ड होते हैं और वे शाल-पर्याय से सम्पन्न होते हैं, ४. कुछ आचार्य एरण्ड होते
हैं और वे एरण्ड-पर्याय से सम्पन्न होते हैं। ५४३. चत्तारि रुवखा पण्णत्ता,तं जहा- चत्वारः रुक्षाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५४३. वृक्ष चार प्रकार के होते हैं
साले णाममेगे सालपरिवारे, शालः नामैक: शालपरिवारः, १. कुछ वृक्ष शाल होते हैं और वे शाल साले णाममेगे एरंडपरिवारे, शाल: नामैक: एरण्डपरिवारः,
परिवार वाले होते हैं-शाल वृक्षों से
घिरे हुए होते हैं, २. कुछ वृक्ष शाल होते एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरण्ड: नामैक: शालपरिवारः,
हैं और वे एरण्ड परिवार वाले होते हैं, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे। एरण्ड: नामैक: एरण्डपरिवारः । ३. कुछ वृक्ष एरण्ड होते हैं और वे शाल
परिवार वाले होते हैं, ४. कुछ वृक्ष एरण्ड होते हैं और वे एरण्ड परिवार वाले होते
एवामेव चत्तारि आयरिया पण्णत्ता, एवमेव चत्वारः आचार्याः प्रज्ञप्ता:, तं जहा
तद्यथासाले णाममेगे सालपरिवारे, शालः नामैक: शालपरिवारः, साले णाममेगे एरंडपरिवारे, शालः नामैक: एरण्डपरिवार:, एरंडे णाममेगे सालपरिवारे, एरण्ड: नामैक: शालपरिवारः, एरंडे णाममेगे एरंडपरिवारे। एरण्ड: नामक: एरण्डपरिवारः ।
इसी प्रकार आचार्य भी चार प्रकार के होते हैं१. कुछ आचार्य शाल होते हैं और वे शाल-परिवार ----योग्य शिष्य-परिवार वाले होते हैं, २. कुछ आचार्य शाल होते हैं और वे एरण्ड-परिवार-अयोग्य-शिष्य परिवार वाले होते हैं, ३. कुछ आचार्य एरण्ड होते हैं और वे शाल-परिवार वाले होते हैं, ४. कुछ आचार्य एरण्ड होते हैं और वे एरण्ड-परिवार वाले होते हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org