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________________ ठाणं (स्थान) ४४६ स्थान ४: सूत्र ५३८-५३६ अम्म-पियर-पदं अम्बा-पितृ-पदम् अम्बा-पितृ-पद ५३८. चत्तारि मेहा पण्णता, तं जहा- चत्वारः मेघाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५३८. मेघ चार प्रकार के होते हैंजणइत्ता णाममेगे, णो णिम्म- जनयिता नामैकः, नो निर्मापयिता, १. कुछ मेघ धान्य को उत्पन्न करने वाले होते हैं, उसका निर्माण करने वाले नहीं वइत्ता, णिम्मवइत्ता णाममेगे, णो निर्मापयिता नामैकः, नो जनयिता, होते, २. कुछ मेघ धान्य का निर्माण करने जणइत्ता, एगे जणइत्तावि, णिम्म- एकः जनयिताऽपि, निर्मापयिताऽपि, वाले होते हैं, उसको उत्पन्न करने वाले वइत्तावि, एगे णो जणइत्ता, णो एकः नो जनयिता, नो निर्मापयिता। नहीं होते, ३. कुछ मेघ धान्य को उत्पन्न णिम्मवइत्ता। करने वाले भी होते हैं और उसका निर्माण करने वाले भी होते हैं, ४. कुछ मेघ न धान्य को उत्पन्न करने वाले होते हैं और न उसका निर्माण करने वाले ही होते हैं। एवामेव चत्तारि अम्मपियरो एवमेव चत्वारः अम्बापितरः प्रज्ञप्तः, इसी प्रकार माता-पिता भी चार प्रकार पण्णत्ता, तं जहातद्यथा के होते हैंजणइत्ता णाममेगे, णो णिम्म- जनयिता नामैकः, नो निर्मापयिता, १. कुछ माता-पिता सन्तान को उत्पन्न करने वाले होते हैं, उसका निर्माण करने वइत्ता, णिम्मवइत्ता णाममेगे, णो निर्मापयिता नामैकः, नो जनयिता, वाले नहीं होते, २. कुछ माता-पिता जणइत्ता, एगे जणइत्तावि, णिम्म- एक: जनयिताऽपि, निर्मापयिताऽपि, संतान का निर्माण करने वाले होते हैं, वइत्तावि, एगे णो जणइत्ता, णो एकः नो जनयिता, नो निर्मापयिता। उसको उत्पन्न करने वाले नहीं होते, णिम्मवइत्ता। ३. कुछ माता-पिता संतान को उत्पन्न करने वाले भी होते हैं और उसका निर्माण करने वाले भी होते हैं, ४. कुछ माता-पिता न संतान को उत्पन्न करने वाले होते हैं और न उसका निर्माण करने वाले ही होते हैं। राय-पदं राज-पदम् राज-पद ५३६. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः मेघाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ५३६. मेघ चार प्रकार के होते हैंदेसवासी णाममेगे, जो सव्ववासी, देशवर्षी नामैकः, नो सर्ववर्षी, १. कुछ मेघ किसी एक देश में ही बरसते हैं, सब देशों में नहीं, २. कुछ मेघ सब सव्ववासी णाममेगे, णो देसवासी, सर्ववर्षी नामकः, नो देशवर्षी, देशों में बरसते हैं, किसी एक देश में एगे देसवासीवि, सव्ववासीवि, एकः देशवर्ण्यपि, सर्ववर्ण्यपि, नहीं, ३. कुछ मेघ किसी एक देश में भी एगे णो देसवासी, णो सव्ववासी। एकः नो देशवर्षी, नो सर्ववर्षी । बरसते हैं और सब देशों में भी वरसते हैं, ४. कुछ मेघ न किसी एक देश में बरसते हैं और न सब देशों में ही बरसते हैं। एवामेव चत्तारि रायाणो पण्णत्ता, एवमेव चत्वारः राजानः प्रज्ञप्ताः, इसी प्रकार राजा भी चार प्रकार के होते तं जहा तद्यथादेसाधिवती णाममेगे, णो सव्वा- देशाधिपतिः नामैकः, नो सर्वाधिपतिः, १. कुछ राजा एक देश के ही अधिपति धिवती, सव्ववाधिवती णाममेगे, सर्वाधिपतिः नामकः, नो देशाधिपतिः, होते हैं, सब देशों के अधिपति नहीं होते, For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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