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________________ ४४८ ठाणं (स्थान) स्थान ४: सूत्र ५३७ कालवासी णाममेगे, जो अकाल- कालवर्षी नामकः, नो अकालवर्षी, १. कुछ मेघ समय पर बरसने वाले होते वासी, अकालवासी णाममेगे, णो अकालवर्षी नामैकः, नो कालवर्षी, हैं, असमय में बरसने वाले नहीं होते, २. कुछ मेघ असमय में बरसने वाले होते कालवासी, एगे कालवासीवि, एकः कालवर्ण्यपि, अकालवर्ण्यपि, हैं, समय पर बरसने वाले नहीं होते, अकालवासीवि, एगे णो कालवासी, एकः नो कालवर्षी, नो अकालवर्षी। ३. कुछ मेघ समय पर भी बरसने वाले णो अकालवासी। होते हैं और असम्य में भी बरसने वाले होते हैं, ४. कुछ मेघ न समय पर बरसने वाले होते हैं और न असमय में ही बरसने वाले होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा हैं-१. कुछ पुरुष समय पर बरसने वाले होते हैं, असमय में बरसने वाले नहीं होते, कालवासी णाममेगे, णो अकाल- कालवर्षी नामैकः, नो अकालवर्षी, २. कुछ पुरुष असमय में बरसने वाले होते वासी, अकालवासी णाममेगे, णो अकालवर्षी नामैकः, नो कालवर्षी, हैं, समय पर बरसने वाले नहीं होते, कालवासी, एगे कालवासीवि, एकः कालवर्ण्यपि, अकालवर्ण्यपि, ३. कुछ पुरुष समय पर भी बरसने वाले अकालवासीवि, एगे णो कालवासी, एकः नो कालवर्षी, नो अकालवर्षी । होते हैं और असमय में भी बरसने वाले णो अकालवासी। होते हैं, ४. कुछ पुरुष न समय पर बरसने वाले होते हैं और न असमय में ही बरसने दाले होते हैं। ५३७. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः मेघाः प्रज्ञप्ताः , तदयथा- ५३७. मेघ चार प्रकार के होते हैंखेत्तवासी णाममेगे, णो अखेत्त- क्षेत्रवर्षी नामैकः, नो अक्षेत्रवर्षी, १. कुछ मेघ उपजाऊ भूमि पर बरसने वासी, अखेत्तवासी णाममेगे, णो अक्षेत्रवर्षी नामैकः, नो क्षेत्रवर्षी, वाले होते हैं, ऊसर में बरसने वाले नहीं खेत्तवासी, एगे खेत्तवासीवि, एक: क्षेत्रवर्ण्यपि, अक्षेत्रवर्ण्यपि, होते, २. कुछ मेघ ऊसर में बरसने वाले होते हैं, उपजाऊ भूमि पर बरसने वाले अखेत्तवासीवि, एगे णो खेत्तवासी, एक: नो क्षेत्रवर्षी, नो अक्षेत्रवर्षी । नहीं होते, ३. कुछ मेघ उपजाऊ भूमि पर णो अखेत्तवासी। भी बरसने वाले होते हैं और ऊसर पर भी बरसने वाले होते हैं, ४. कुछ मेघ न उपजाऊ भूमि पर बरसने वाले होते हैं और न ऊसर पर ही बरसने वाले होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा हैं-१. कुछ पुरुष उपजाऊ भूमि पर बरसने खेत्तवासी णाममेगे, णो अखेत्त- क्षेत्रवर्षी नामकः, नो अक्षेत्रवर्षी, वाले होते हैं, ऊसर में बरसने वाले नहीं वासी, अखेत्तवासी णाममेगे, णो अक्षेत्रवर्षी नामकः, नो क्षेत्रवर्षी, होते, २. कुछ पुरुष ऊसर में बरसने वाले खेत्तवासी, एगे खेत्तवासीवि, एकः क्षेत्रवर्ण्यपि, अक्षेत्रवर्ण्यपि, होते हैं, उपजाऊ भूमि पर बरसने वाले नहीं होते, ३. कुछ पुरुष उपजाऊ भूमि अखत्तवासीवि, एगे णो खेत्तवासी, एक: नो क्षेत्रवर्षी, नो अक्षेत्रवर्षी। पर भी बरसने वाले होते हैं और ऊसर णो अखेत्तवासी। पर भी बरसने वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष न उपजाऊ भूमि पर बरसने वाले होते हैं और न ऊसर पर बरसने वाले होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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