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________________ ठाणं (स्थान) ५३४. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहागज्जित्ता णाममेगे, णो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता णाममेगे णो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि, विज्जुयाइत्तावि, एगे जो गज्जित्ता, विजुयात् । ५३५. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहावासित्ता णाममेगे, जो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता णाममेगे, णो वासिता, एगे वासित्तावि, विज्जुयाइत्तावि, एगे णो वासित्ता, विजुयात् । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, पण्णत्ता तं जहा गज्जित्ता णाममेगे, णो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता णाममेगे, णो गज्जित्ता, एगे गज्जित्तावि, विज्जयाइत्तावि, एगे जो गज्जित्ता, णो विज्जुयाइत्ता । — ४४७ ५३६. चत्तारि मेहा पण्णत्ता, तं जहा Jain Education International चत्वारः मेघाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-गर्जिता नामैकः, नो विद्योतयिता, विद्योतयिता नामकः, नो गर्जिता, एकः गर्जिताऽपि विद्योतयिताऽपि, एकः नो गर्जिता, नो विद्योतयिता । तद्यथा गर्जिता नामैकः, नो विद्योतयिता, विद्योतयिता नामकः, नो गर्जिता, एकः गर्जिताऽपि, विद्योतयिताऽपि, एकः नो गजिता, नो विद्योतयिता । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, पण्णत्ता, तं जहा वासिता णाममेगे, णो विज्जुयाइत्ता, विज्जुयाइत्ता णाममेगे, णो वासित्ता, एगे वासित्ता वि विज्जुयाइत्तावि, एगे जो वासिता, णो विज्जुयाइत्ता । चत्वारः मेघाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथावर्षिता नामेकः, नो विद्योतयिता, विद्योतयिता नामकः, नो वर्षिता, एकः वर्षिताऽपि विद्योतयिताऽपि, एकः नो वर्षिता, नो विद्योतयिता । तद्यथा वर्षिता नामकः, नो विद्योतयिता, विद्योतयिता नामकः, नो वर्षिता, एकः वर्षिताऽपि विद्योतयिताऽपि, एकः नो वर्षिता, नो विद्योतयिता । चत्वारः मेघाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा For Private & Personal Use Only स्थान ४ : सूत्र ५३४-५३६ ५३४. मेघ चार प्रकार के होते हैं १. कुछ मेघ गरजने वाले होते हैं, चमकने वाले नहीं होते, २. कुछ मेघ चमकने वाले होते हैं, गरजने वाले नहीं होते, ३. कुछ मेघ गरजने वाले भी होते हैं और चमकने वाले भी होते, ४. कुछ मेघ न गरजने वाले होते हैं और न चमकने वाले ही होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं - १. कुछ पुरुष गरजने वाले होते हैं, चमकने वाले नहीं होते, २. कुछ पुरुष चमकने वाले होते हैं, गरजने वाले नहीं होते, ३. कुछ पुरुष गरजने वाले भी होते हैं और चमकने वाले भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न गरजने वाले होते हैं और न चमकने वाले ही होते हैं। ५३५. मेघ चार प्रकार के होते हैं १. कुछ मेघ बरसने वाले होते हैं, चमकने वाले नहीं होते, २. कुछ मेघ चमकने वाले होते हैं, बरसने वाले नहीं होते, ३. कुछ मेघ बरसने वाले भी होते हैं और चमकने वाले भी होते हैं, ४. कुछ मेघ न बरसने वाले होते हैं और न चमकने वाले ही होते हैं। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं१. कुछ पुरुष बरसने वाले होते हैं, चमकने वाले नहीं होते, २. कुछ पुरुष चमकने वाले होते हैं, बरसने वाले नहीं होते, ३. कुछ पुरुष बरसने वाले भी होते हैं। और चमकने वाले भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न बरसने वाले होते हैं और न चमकने वाले ही होते हैं । ५३६. मेघ चार प्रकार के होते हैं- www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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