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ठाणं (स्थान)
स्थान १ : सूत्र ७७-१०८
७७. एगे दुन्भिगंधे। ७८. एगे तित्ते। ७६. एगे कडुए। ८०. एगे कसाए। ८१. एगे अंबिले। ८२. एगे महुरे। ८३. एगे कक्खडे । ८४. 'एगे मउए। ८५. एगे गरुए। ८६. एगे लहुए। ८७. एगे सोते। ८८. एगे उसिणे। ८६. एगे गिद्धे। ६०. एगे लुक्खे।
एको दुर्गन्धः। एक: तिक्तः । एक: कटुकः। एक: कषायः। एक अम्लः । एको मधुरः । एक: कर्कशः। एको मृदुकः। एको गुरुकः। एको लघुकः। एक: शीतः । एकः उष्णः । एक: स्निग्धः। एको रूक्षः ।
७७ .अशुभ-गंध एक है। ७८. तीता एक है। ७६. कडुआ" एक है। ८०. कसैला" एक है। ८१. आम्ल (खट्टा) एक है। ८२. मधुर एक है। ८३. कर्कश एक है। ८४. मृदु एक है। ८५. गुरु एक है। ८६. लघु एक है। ८७. शीत एक है। ८८. उष्ण एक है। ८९. स्निग्ध एक है। ६०. रूक्ष एक है।
अट्ठारसपाव-पदं ६१. एगे पाणातिवाए। ६२. “एगे मुसावाए। ६३. एगे अदिण्णादाणे। ६४. एगे मेहुणे । ६५. एगे परिग्गहे। ६६. एगे कोहे। ६७. 'एगे माणे। ६८. एगा माया । ६६. एगे लोभे। १००. एगे पेज्जे। १०१. एगे दोसे। १०२. 'एगे कलहे। १०३. एगे अब्भक्खाणे। १०४. एगे पेसुण्णे । १०५. एगे परपरिवाए। १०६. एगा अरतिरती। १०७. एगे मायामोसे। १०८. एगे मिच्छादसणसल्ले ।
अष्टादशपाप-पदम् एक: प्राणातिपातः। एको मृषावादः। एक अदत्तादानम् । एक मैथुनम्। एकः परिग्रहः । एकः क्रोधः । एक: मानः । एका माया। एको लोभः। एकः प्रेयान् । एको दोषः । एकः कलहः। एक अभ्याख्यानम्। एक पैशुन्यम्। एकः परपरिवादः। एका अरतिरतिः। एका मायामृषा। एक मिथ्यादर्शनशल्यम्।
अष्टादशपाप-पद ६१. प्राणातिपात एक है। ६२. मृषावाद एक है। ६३. अदत्तादान एक है। ६४. मैथुन एक है। ६५. परिग्रह एक है। ६६. क्रोध एक है। ६७. मान एक है। ६८. माया एक है। ६६. लोभ एक है। १००. प्रेम एक है। १०१. द्वेष एक है। १०२. कलह एक है। १०३. अभ्याख्यान एक है। १०४. पैशुन्य एक है। १०५. परपरिवाद एक है। १०६. अरति-रति एक है। १०७. मायामृषा" एक है। १०८. मिथ्यादर्शनशल्य एक है।
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