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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ५२५-५२८ ५२५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२५. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष श्रेयान् होते हैं और अपने सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति मण्णति, श्रेयान् नामकः श्रेयानिति मन्यते, आपको श्रेयान् ही मानते हैं २. कुछ पुरुष सेयंसे णाममेगे पावंसेत्ति मण्णति, श्रेयान् नामकः पापीयानिति मन्यते, श्रेयान् होते हैं, किन्तु अपने आपको पावंसे णाममेगे सेयंसेत्ति मण्णति, पापीयान् नामैक: श्रेयानिति मन्यते, पापीयान् मानते हैं ३. कुछ पुरुष पापीयान् पावंसे णाममेगे पावंसेत्ति मण्णति । पापीयान नामैक: पापीयानिति मन्यते । होते हैं, किन्तु अपने अपको श्रेयान् मानते
हैं ४. कुछ पुरुष पापीयान् होते हैं और
अपने आपको पापीयान् ही मानते हैं। ५२६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं.--- जहातदयथा
१. कुछ पुरुष श्रेयान् होते हैं और अपने
आपको श्रेयान् के सदृश ही मानते हैं सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालिसए श्रेयान् नामैक: श्रेयानिति सदृशक:
२. कुछ पुरुष श्रेयान् होते हैं किन्तु अपने मण्णति, सेयंसे णाममेगे पावंसेत्ति मन्यते, श्रेयान् नामकः पापीयानिति
आपको पापीयान् के सदृश मानते हैं ३. सालिसए मण्णति, पावंसे णाममेगे सदृशक: मन्यते, पापीयान् नामकः कुछ पुरुष पापीयान् होते हैं, किन्तु अपने सेयंसेत्ति सालिसए मण्णति, श्रेयानिति सदृशकः मन्यते, पापीयान् आपको श्रेयान् के सदृश मानते हैं ४. कुछ पावंसे णाममेगे पावंसेत्ति सालिसए नामैकः पापीयानिति सदशकः मन्यते ।
पुरुष पापीयान् होते हैं और अपने आपको
पापीयान् के सदृश मानते हैं। मण्णति ।
आघवण-पदं आख्यापन-पदम्
आख्यापन-पद ५२७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२७. पुरुष चार प्रकार के होते हैं--- जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष आख्यायक (कथावाचक)
होते हैं, किन्तु प्रविभावक'१५ (चिंतक) आघवइत्ता णाममेगे, णो पवि- आख्यापयिता नामैक:. नो प्रवि
नहीं होते २. कुछ पुरुष प्रविभावक होते भावइत्ता, पविभावइत्ता णाममेगे, भावयिता, प्रविभावयिता नामकः, नो ।
हैं, किन्तु आख्यायक नहीं होते णो आघवइत्ता, एगे आघ- आख्यापयिता, एकः आख्यापयिताऽपि, ३. कुछ पुरुष आख्यायक भी होते हैं और वइत्तावि, पविभावइत्तावि, एगे प्रविभावयिताऽपि, एकः नो आख्याप
प्रविभावक भी होते हैं ४. कुछ पुरुष न णो आघवइत्ता, णोपविभावइत्ता। यिता, नो प्रविभावयिता।
आख्यायक होते हैं और न प्रविभावक
होते हैं। ५२८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२८. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहा.तद्यथा
१. कुछ पुरुष आख्यायक होते हैं, उञ्छआघवइत्ता णाममेगे, जो उंछ- आख्यापयिता नामैकः, नो उञ्छ
जीविका सम्पन्न नहीं होते २. कुछ पुरुष जीविसंपण्णे, उंछजीविसंपण्णे जीविकासम्पन्नः, उञ्छजीविकासम्पन्नः उञ्छजीविका सम्पन्न होते हैं, आख्यायक णाममेगे, णो आघवइत्ता, एगे नामैकः, नो आख्यापयिता, एक: नहीं होते ३. कुछ पुरुष आख्यायक भी आघवइत्तावि उंछजीविसंपण्णेवि, आख्यापयिताऽपि, उञ्छजीविका- होते हैं और उञ्छजीविका सम्पन्न भी एगे णो आघवइत्ता, णो उंछजीवि- सम्पन्नोऽपि, एकः नो आख्यापयिता, होते हैं ४. कुछ पुरुष न आख्यायक होते संपण्णे। नो उञ्छजीविकासम्पन्नः ।
हैं और न उञ्छजीविका सम्पन्न होते हैं।
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