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स्थान ४ : सूत्र ५२३-५२४ इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते
ठाणं (स्थान)
४४४ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, पण्णत्ता, तं जहा.
तद्यथाअंतोदुट्ठणाममेगे, णो बाहिंदु? अन्तर्दुष्टः नामकः, नो बहिर्दुष्ट:, बाहिंदुद्वे णाममेगे, णो अंतोदु?, बहिर्दुष्टः नामकः, नो अन्तर्दुष्टः, एगे अंतोदुट्ठवि, बाहिंदुह्रवि, एक: अन्तर्दुष्टोऽपि, बहिर्दुष्टोऽपि, एगे णो अंतोदुटु, णो बाहिंदु8। एकः नो अन्तर्दुष्टः, नो बहिर्दुष्टः।
१. कुछ पुरुष अन्तःदुष्ट---अन्दर से मैले होते हैं, किन्तु बाहर से नहीं होते २. कुछ पुरुष बाहर से दुष्ट होते हैं, किन्तु अन्तः दुष्ट नहीं होते ३. कुछ पुरुष अन्तःदुष्ट भी होते हैं और बाह्य दुष्ट भी होते हैं ४. कुछ पुरुष न अन्तःदुष्ट होते हैं और न बाह्य दुष्ट होते हैं।
सेयंस-पावंस-पदं श्रेयस्पापीयस्पदम्
श्रेयस्पापीयस्पद ५२३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२३. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष बोध की दृष्टि से भी श्रेयान्सेयंसे णाममेगे सेयंसे, श्रेयान् नामैक: श्रेयान्,
प्रशस्य होते हैं और आचरण की दृष्टि से सेयंसे णाममेगे पावसे, श्रेयान् नामैकः पापीयान्,
भी श्रेयान् होते हैं २. कुछ पुरुष बोध की पावंसे णाममेगे सेयंसे, पापीयान् नामैकः श्रेयान्,
दृष्टि से श्रेयान होते हैं, किन्तु आचरण पावंसे णाममेगे पावंसे। पापीयान् नामैकः पापीयान् ।
की दृष्टि से पापीयान् होते हैं ३. कुछ पुरुष बोध की दृष्टि से पापीयान होते हैं, किन्तु आचरण की दृष्टि से श्रेयान् होते हैं ४. कुछ पुरुष बोध की दृष्टि से भी पापीयान होते हैं और आचरण की दृष्टि
में भी पापीयान् होते हैं। ५२४. चत्तारि पुरिसजाया पणत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२४. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष बोध की दृष्टि से भी श्रेयान् सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालिसए, श्रेयान् नामैक: श्रेयानिति सदृशकः, होते हैं और आचरण की दृष्टि से भी सेयंसे णाममेगे पावंसेत्ति सालिसए, श्रेयान् नामैकः पापीयानिति सदृशकः, धेयान् के सदृश होते हैं २. कुछ पुरुष पावंसे णाममेगे सेयं सेत्ति सालिसए, पापीयान् नामकः श्रेयानिति सदृशकः, बोध की दृष्टि से श्रेयान् होते हैं, किन्तु पावंसे णाममेगे, पावसत्ति पापीयान नामैकः पापीयानिति सदृशकः। आचरण की दृष्टि से पापीयान् के सदृश सालिसए।
होते हैं ३. कुछ पुरुष बोध की दृष्टि से पापीयान् होते हैं, किन्तु आचरण की दृष्टि से श्रेयान् के सदृश होते हैं ४. कुछ पुरुष बोध की दृष्टि से भी पापीयान् होते हैं और आचरण की दृष्टि से भी पापीयान् के सदृश होते हैं।
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