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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ५१६-५२० ५१६. चउन्विहा तिगिच्छा पण्णत्ता, तं चतुर्विधा चिकित्सा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- ५१६. चिकित्सा के चार अंग है
जहा—विज्जो, ओसधाई, आउरे, वैद्यः, औषधानि, आतुरः, परिचारकः। १. वैद्य २. औषध ३. रोगी परियारए।
४. परिचारक । ५१७. चत्तारि तिगिच्छगा पण्णत्ता, तं चत्वार: चिकित्सकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-५१७. चिकित्सक चार प्रकार के होते हैं-- जहा...आततिगिच्छए णाममेगे, आत्मचिकित्सकः नामैकः,
१. कुछ चिकित्सक अपनी चिकित्सा करते णो परतिगिच्छए, नो परचिकित्सकः,
हैं, दूसरों की नहीं करते २. कुछ परतिगिच्छए णाममेगे, परचिकित्सक: नामैकः,
चिकित्सक दूसरों की चिकित्सा करते हैं, णो आतति गिच्छए, नोआत्मचिकित्सकः,
अपनी नहीं करते ३. कुछ चिकित्सक अपनी एगे आततिगिच्छएवि, एक: आत्मचिकित्सकोऽपि,
भी चिकित्सा करते हैं और दूसरों की भी परतिगिच्छएवि, परचिकित्सकोऽपि,
करते हैं ४. कुछ चिकित्सक न अपनी एगे णो आततिगिच्छए, एक: नो आत्मचिकित्सकः,
चिकित्सा करते हैं और न दूसरों की ही णो परतिगिच्छए। नो परचिकित्सकः ।
करते हैं।
वणकर-पदं व्रणकर-पदम्
व्रणकर-पद ५१८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५१८. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष रक्त निकालने के लिए व्रण--- वणकरे णाममेगे, णो वणपरिमासी, व्रणकरः नामैकः, नो व्रणपरामर्शी, घाव करते हैं, किन्तु उसका परिमर्श नहीं वणपरिमासी णाममेगे, णो वणकरे, व्रणपरामर्शी नामैकः, नो व्रणकरः, करते-उसे सहलाते नहीं २. कुछ पुरुष एगे वणकरेवि, वणपरिमासीवि, एकः व्रणकरोऽपि, व्रणपरामयपि,
व्रण का परिमर्श करते हैं, किन्तु व्रण नहीं एगे णो वणकरे, णो वणपरिमासी। एक: नो व्रणकरः, नो व्रणपरामर्शी। करते ३. कुछ पुरुष व्रण भी करते हैं
और उसका परिमर्श भी करते हैं ४. कुछ पुरुष न व्रण करते हैं और न उसका
परिमर्श करते हैं। ५१६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५१६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-- जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष व्रण करते हैं, किन्तु उसका वणकरे णाममेगे, णो वणसारक्खी, व्रणकर: नामैकः, नो व्रणसंरक्षी, संरक्षण-देखभाल नहीं करते २. कुछ पुरुष वणसारक्खी णाममेगे, णो वणकरे, व्रणसंरक्षी नामकः, नो व्रणकरः, व्रण का संरक्षण करते हैं, किन्तु व्रण नहीं एगे वणकरेवि, वणसारक्खीवि, एकः व्रणकरोऽपि, व्रणसंरक्ष्यपि, करते ३. कुछ पुरुष व्रण भी करते हैं और एगे णो वणकरे, णो वणसारक्खी। एकः नो व्रणकरः, नो व्रणसंरक्षी। उसका संरक्षण भी करते हैं ४. कुछ पुरुष
न वण करते हैं और न उसका संरक्षण
करते हैं। ५२०. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५२०. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहा
तद्यथा
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