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सणं (स्थान)
४३२
स्थान ४: सूत्र ४७८
बलसंपण्णे णाममेगे,
बलसम्पन्न: नामैकः, नो रूपसम्पन्नः, १. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न होते हैं, रूपणो रूवसंपण्णे, रूपसम्पन्न: नामकः, नो बलसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ घोड़े रूपरूवसंपणे णाममेगे, एकः बलसम्पन्नोऽपि, रूपसम्पन्नोऽपि, सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते, णो बलसंपण्णे,
एक: नो बलसम्पन्नः नो रूपसम्पन्नः । ३. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न भी होते हैं और एगे बलसंपण्णेवि, रूवसंपण्णेवि,
रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ घोड़े न एगे णो बलसंपण्णे,
बल-सम्पन्न होते हैं और न रूप-सम्पन्न णो रूवसंपण्णे।
ही होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाबलसंपण्णे णाममेगे,
बलसम्पन्न: नामैकः, नो रूपसम्पन्न:, १. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, रूपणो रूवसंपण्णे, रूपसम्पन्नः नामकः, नो बलसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष रूपख्वसंपण्णे णाममेगे,
एक: बलसम्पन्नोऽपि, रूपसम्पन्नोऽपि, सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते, णो बलसंपण्णे,
एकः नो बलसम्पन्न: नो रूपसम्पन्नः । ३. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न भी होते हैं एगे बलसंपण्णेवि, रूवसंपण्णेवि,
और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे णो बलसंपण्णे,
पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न रूपणो रूवसंपण्णे।
सम्पन्न ही होते हैं। ४७८. चत्तारि पकथगा पण्णत्ता, तं चत्वारः प्रकन्थकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ४७८. घोड़े चार प्रकार के होते हैंजहा.
१. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न होते हैं, जयबलसंपणे णाममेगे,
बलसम्पन्न: नामकः, नो जयसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ घोड़े जयणो जयसंपण्ण,
जयसम्पन्न: नामैकः, नो बलसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते, जयसंपण्णे णाममेगे,
एक: बलसम्पन्नोऽपि, जयसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ घोड़े बल-सम्पन्न भी होते हैं और णो बलसंपण्णे,
एक: नो वलसम्पन्नः, नो जयसम्पन्नः । जय-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ घोड़े न एगे बलसंपण्णेवि, जयसंपण्णेवि,
बल-सम्पन्न होते हैं और न जय-सम्पन्न एगे णो बलसंपण्णे,
ही होते हैं। णो जयसंपण्णे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा.
तद्यथाबलसंपण्णे णाममेगे,
बलसम्पन्नः नामैकः, नो जयसम्पन्नः, १. कुछ पुरुष बल-संपन्न होते हैं, जयणो जयसंपण्णे,
जयसम्पन्नः नामैकः, नो बलसम्पन्नः, संपन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष जय-संपन्न जयसंपण्णे णाममेगे,
एक: बलसम्पन्नोऽपि, जयसम्पन्नोऽपि, होते हैं, बल-संपन्न नहीं होते। ३. कुछ णो बलसंपण्णे,
एक: नो बलसम्पन्नः, नो जयसम्पन्नः । पुरुष बल-संपन्न भी होते हैं, और जयएगे बलसंपण्णेवि, जयसंपण्णेवि,
संपन्न भी होते हैं। ४. कुछ पुरुष न बलएगे णो बलसंपण्णे,
संपन्न होते हैं और न जय-संपन्न ही होते णो जयसंपण्णे।
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