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स्थान ४ : सूत्र ४७४-४७५
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते
ठाणं (स्थान)
४३० एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, पण्णत्ता, तं जहा...
तद्यथाजातिसंपण्णे नामेगे, जातिसम्पन्नः नामकः, नो जयसम्पन्नः, णो जयसंपण्णे, जयसम्पन्न: नामैकः, नो जातिसम्पन्नः, जयसंपण्णे नामंगे, एकः जातिसम्पन्नोऽपि, जयसम्पन्नोऽपि, णो जातिसंपण्णे, एक: नो जातिसम्पन्नः, नो जयसम्पन्नः । एगे जातिसंपण्णेवि, जयसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपण्णे, णो जयसंपण्णे।
१. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, जयसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष जयसम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी होते हैं
और जय-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न जाति-सम्पन्न होते हैं और न जयसम्पन्न ही होते हैं।
कुल-पदं
कुल-पदम्
कुल-पद ४७४. चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः प्रकन्थकाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा.... ४७४. घोड़े चार प्रकार के होते हैं
कुलसंपण्णे णाममेगे, कुलसम्पन्न: नामकः, नो बलसम्पन्नः, १. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न होते हैं, बलणो बलसंपण्णे, बलसम्पन्न: नामैकः, नो कूलसम्पन्न:, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ घोड़े बलबलसंपण्णे णाममेगे, एकः कुलसम्पन्नोऽपि, बलसम्पन्नोऽपि, सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते, णो कुलसंपण्णे, एकः नो कुलसम्पन्नः, नो बलसम्पन्नः । ३. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न भी होते हैं एगे कुलसंपण्णेवि,बलसंपण्णेवि,
और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे णो कुलसंपण्णे,
घोड़े न कुल-सम्पन्न होते हैं और न बलणो बलसंपण्णे।
सम्पन्न ही होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णता, तं जहा
तद्यथाकुलसंपण्णे णाममेगे,
कूलसम्पन्नः नामैकः, नो बलसम्पन्न:, १. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न होते हैं, बलणो बलसंपण्णे, बलसम्पन्नः नामकः, नो कूलसम्पन्न:,
सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुप बलबलसंपण्णे णाममेगे,
एक: कुलसम्पन्नोऽपि, बलसम्पन्नोऽपि, सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं होते, णो कुलसंपण्णे, एक: नो कूलसम्पन्नः, नो बलसम्पन्नः । ३. कुछ पुरुष कुल-सम्पन्न भी होते एगे कुलसंपण्णेवि, बलसंपण्णेवि,
हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, एगे णो कुलसंपण्णे,
४. कुछ पुरुष न कुल-सम्पन्न होते हैं णो बलसंपण्णे।
और न बल-सम्पन्न ही होते हैं। ४७५. चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तं चत्वारः प्रकन्थका: प्रज्ञप्ताः , तदयथा- ४७५. घोड़े चार प्रकार के होते हैं - जहा
१. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न होते हैं, रूपकुलसंपण्णे णाममेगे, कुलसम्पन्न: नामकः, नो रूपसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ घोड़े रूपणो रूवसंपण्णे, रूपसम्पन्नः नामैकः, नो कुलसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, कुल-सम्पन्न नहीं रूवसंपण्णे णाममेगे,
होते, ३. कुछ घोड़े कुल-सम्पन्न णो कुलसंपण्णे,
भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी
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