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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ४६६ आइण्णे णाममेगे आइण्णे, आकीर्णः नामैक: आकीर्णः,
होते हैं और पीछे भी आकीर्ण ही होते हैं, आइण्णे णाममेगे खलुंके, आकीर्णः नामैक: खलंकः,
२. कुछ घोड़े पहले आकीर्ण होते हैं, किन्तु खलुंके णाममेगे आइण्णे, खलुंक: नामैक: आकीर्णः,
पीछे खलुक-मंद हो जाते हैं, ३. कुछ घोड़े खलुके णाममेगे खलुके। खलुंक: नामैकः खलुंकः।
पहले खलुक होते हैं, किन्तु पीछे आकीर्ण हो जाते हैं, ४. कुछ घोड़े पहले भी खलुक
होते हैं और पीछे भी खलुक ही होते हैं । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाआइण्णे णाममेगे आइण्णे, आकीर्णः नामकः आकीर्णः,
१. कुछ पुरुष पहले भी आकीर्ण होते हैं 'आइण्णे णाममेगे खलुंके, आकीर्णः नामैकः खलुंकः,
और पीछे भी आकीर्ण ही होते हैं, २. कुछ खलुंके गाममेगे आइण्णे, खलंक: नामकः आकीर्णः,
पुरुष पहले आकीर्ण होते हैं, किन्तु पीछे खलुंके णाममेगे खलुंके। खलुंक: नामकः खलुकः ।
खलंक हो जाते हैं, ३. कुछ पुरुष पहले खलुक होते हैं, किन्तु पीछे आकीर्ण हो जाते हैं ४. कुछ पुरुष पहले भी खलंक
होते हैं और पीछे भी खलुक ही होते हैं। ४६४.चत्तारि पकंथगा पण्णत्ता,तं चत्वारः प्रकन्थका:प्रज्ञप्ता:, तदयथा ४६६. घोड़े चार प्रकार के होते हैं--- जहा
१. कुछ घोड़े आकीर्ण होते हैं और आइण्णे णाममेगे आइण्णताए वहति, आकीर्णः नामैक: आकीर्णतया वहति, आकीर्णरूप में ही व्यवहार करते हैं, आइण्णे णाममेगे खलंकताए वह ति, आकीर्णः नामैकः खलुंकतया वहति, २. कुछ घोड़े आकीर्ण होते हैं, पर खलुंकखलुके णाममेगे आइण्णताए वहति, खलुकः नामैकः आकीर्णतया वहति, रूप में व्यवहार करते हैं, ३. कुछ घोड़े खलुके णाममेगे खलुंकताए वहति। खलुकः नामकः खलुकतया वहति । खलुक होते हैं, पर आकीर्णरूप में व्यवहार
करते हैं, ४. कुछ घोड़े खलंक ही होते हैं
और खलकरूप में ही व्यवहार करते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाआइपणे णाममेगे आइण्णताए वहति, आकीर्णः नामैक: आकीर्णतया वहति, १. कुछ पुरुष आकीर्ण होते हैं और आइण्णे णाममेगे खलुंकताए वहति, आकीर्णः नामकः खलुंकतया वहति, आकीर्णरूप में ही व्यवहार करते हैं खलुंके णाममेगे आइण्णताए वहति, खलंकः नामैक: आकीर्णतया वहति, २. कुछ पुरुष आकीर्ण होते हैं, पर खलुकखलुंके णाममेगे खलुंकताए वहति। खलुंक: नामकः खलुंकतया वहति । रूप में व्यवहार करते हैं, ३. कुछ पुरुष
खलुक होते हैं, पर आकीर्णरूप में व्यवहार करते हैं ४. कुछ पुरुष खलुक ही होते हैं और खलुकरूप में ही व्यवहार करते हैं।
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