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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ४६२-४६५ ४६२. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४६२. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहा...तद्यथा
१. कुछ पुरुष तम और तमोबल में अनुतमे णाममेगे तमबलपलज्जणे, तमो नामैक: तमोबलप्ररञ्जन:,
रक्त होते हैं, २. कुछ पुरुष तम और
ज्योतिबल में अनुरक्त होते हैं, ३. कुछ तमे णाममेगे जोतिबलपलज्जणे, तमो नामैक: ज्योतिर्बलप्ररञ्जनः,
पुरुष ज्योति और तपोबल में अनुरक्त जोती णाममेगे तमबलपलज्जणे, ज्योति मिकः तमोबलप्ररञ्जनः, होते हैं, ४. कुछ पुरुष ज्योति और ज्योतिजोती णाममेगे जोतिबलपलज्जणे। ज्योति मैकः ज्योतिर्बलप्ररञ्जनः। बल में अनुरक्त होते हैं।
परिणात-अपरिणात-पदं परिज्ञात-अपरिज्ञात-पदम्
परिज्ञात-अपरिज्ञात-पद ४६३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४६३. पुरुष चार प्रकार के होते हैं--- जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष परिज्ञातकर्मा होते हैं, पर परिण्णातकम्मे णाममेगे, परिज्ञातकर्मा नामैकः, नो परिज्ञातसंज्ञः, परिज्ञात संज्ञ नहीं होते-हिंसा आदि णो परिणातसण्णे,
परिज्ञातसंज्ञः नामैकः, नो परिज्ञातकर्मा, के परिहा होते हैं, पर अनासक्त नहीं परिणातसण्णे णाममेगे, एकः परिज्ञातकर्माऽपि, परिज्ञातसंज्ञोऽपि, होते, २. कुछ पुरुष परिज्ञातसंज्ञ होते हैं, णो परिण्णातकम्मे,
एक: नो परिज्ञातकर्मा, नो परिज्ञातसंज्ञः । पर परिज्ञात कर्मा नहीं होते ३. कुछ एगे परिण्णातकम्मेवि,
पुरुष परिज्ञातकर्मा भी होते हैं और परिण्णातसण्णेवि,
परिज्ञातसंज्ञ भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न एगे णो परिण्णातकम्मे,
परिज्ञातकर्मा होते हैं और न परिज्ञातसंज्ञ णो परिणातसण्णे।
ही होते हैं। ४६४. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४६४. पुरुष चार प्रकार के होते हैं--- जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष परिज्ञातका होते हैं, परिण्णातकम्मे णाममेगे, परिज्ञातकर्मा नामकः,
पर परिज्ञातगृहवास नहीं होते, २. कुछ णो परिण्णातगिहावासे, नो परिज्ञातगृहावासः,
पुरुष परिज्ञातगृहवास होते हैं, पर परिपरिणातगिहावासे णाममेगे, परिज्ञातगृहावासः नामैकः,
ज्ञातकर्मा नहीं होते, ३. कुछ पुरुष णो परिण्णातकम्म, नो परिज्ञातकर्मा,
परिज्ञातकर्मा भी होते हैं और परिज्ञातएगे परिणातकम्मेवि, एकः परिज्ञातकर्माऽपि,
गृहवास भी होते हैं ४. कुछ पुरुष ने परिण्णात गिहावासेवि, परिज्ञातगृहावासोऽपि,
परिज्ञातकर्मा होते हैं और न परिज्ञातएगे णो परिणातकम्मे, एक: नो परिज्ञातकर्मा,
गृहवास ही होते हैं। णो परिण्णातगिहावासे। नो परिज्ञातगृहावासः। ४६५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४६५. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-- जहा.तद्यथा
१. कुछ पुरुष परिज्ञातसंज्ञ होते हैं, पर परिण्णातसण्णे णाममेगे, परिज्ञातसंज्ञः नामैकः,
परिज्ञातगृहवास नहीं होते, २. कुछ पुरुष णो परिणातगिहावासे, नो परिज्ञातगृहावासः,
परिज्ञातगृहवास होते हैं, पर परिज्ञातसंज्ञ परिण्णातगिहावासे णाममेगे, परिज्ञातगृहावासः नामैकः,
नहीं होते, ३. कुछ पुरुष परिज्ञातसंज्ञ भी णो परिणातसणे, नो परिज्ञातसंज्ञः,
होते हैं और परिज्ञातगृहवास भी होते हैं,
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