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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४: सूत्र ४३६-४४३ ४३६. चहि ठाणेहि देवसण्णिवाते सिया, चतुभिः स्थानः देवसन्निपातः स्यात्, ४३६. चार कारणों से देव-सन्निपात [ मनुष्यतं जहातद्यथा
लोक में आगमन होता हैअरहतेहिं जायमाहिं, अर्हत्सु जायमानेषु,
१. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों अरहतेहि पव्वयमाहिं, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु,
के प्रवजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु, अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु,
के केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष में अरहताणं परिणिव्वाणन हिमासु। अर्हतां परिनिर्वाणमहिमसु ।
किए जाने वाले महोत्सव पर, ४. अर्हन्तों
के परिनिर्वाण-महोत्सव पर । ४४०. चहि ठाणेहि देवुक्क लिया सिया, चतुभिः स्थानः देवोत्कलिका स्यात्, ४४०. चार कारणों से देवोत्कलिका [ देवताओं तं जहातद्यथा
का समवाय ] होता है---- अरहंतेहि अर्हत्सु जायमानेषु,
१. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों अरहंतेहिं पव्वयमार्गाह, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु,
के प्रवजित होने के अवसर पर ३. अर्हन्तों अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु, अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु,
को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष में अरहताणं परिणिव्वाणमहिमासु। अर्हतां परिनिर्वाणमहिमसु,
किए जाने वाले महोत्सव पर, ४. अर्हन्तों
के परिनिर्वाण-महोत्सव पर । ४४१. चहि ठाणेहि देवकहकहए सिया, चतुभिः स्थान: देव ‘कहकहकः' स्यात्, ४४१. चार कारणों से देव-कहकहा [ कलकलतं जहातद्यथा
ध्वनि होता हैअरहंतेहिं जायमाणेहि, अर्हत्सु जायमानेषु, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु, १. अर्हन्ता का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों अरहंतेहि पव्वयमाणेहि, अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु,
के प्रवजित होने के अवसर पर, ३. अर्हन्तों अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु, अर्हतां परिनिर्वाणमहिमसु ।
को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष में अरहताणं परिणिव्वाणमहिमासु।
किए जाने वाले महोत्सव पर, ४. अर्हन्तों
के परिनिर्वाण-महोत्सव पर। ४४२. चहि ठाहिं देविदा माणुसं चतुभिः स्थानैः देवेन्द्राः मानुषं लोक ४४२. चार कारणों से देवेन्द्र तत्क्षण मनुष्यलोक लोग हन्वमागच्छंति, तं जहा- अर्वाग् आगच्छन्ति, तद्यथा
में आते हैंअरहंतेहिं जायमाणेह, अर्हत्सु जायमानेषु,
१. अर्हन्तों का जन्म होने पर, २. अर्हन्तों अरहंतेहि पव्वयमाहि, अर्हत्सु प्रव्रजत्सु,
के प्रवजित होने के अवसर पर ३. अर्हन्तों अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु, अर्हतां ज्ञानोत्पादमहिमसु,
को केवलज्ञान उत्पन्न होने के उपलक्ष में अरहंताणं परिणिव्वाणमहिमासु। अर्हतां परिनिर्वाणमहिमसु ।
किए जाने वाले महोत्सव पर, ४ अर्हन्तों
के परिनिर्वाण-महोत्सव पर। ४४३. एवं—सामाणिया, तायत्तीसगा, एवम् – सामानिकाः, तावत्रिंशकाः, ४४३. इसी प्रकार सामानिक, तावत्तिशक,
लोगपाला देवा, अग्गमहिसीओ लोकपाला देवा:, अग्रमहिष्यो देव्यः, लोकपाल देव, अग्रमहिषी देवियां, सभादेवीओ, परिसोववण्णगा देवा, परिषदुपपन्नका देवाः, अनीकाधिपतयो सद, सेनापति तथा आत्म-रक्षक देव चार अणियाहिवई देवा, आयरक्खा देवाः, आत्मरक्षका देवाः, मानुषं लोकं कारणों से तत्क्षण मनुष्य लोक में आते देवा माणुसं लोगं हव्वमागच्छंति, अर्वाग् आगच्छन्ति, तद्यथातं जहा
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