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ठाणं (स्थान)
स्थान ४ : सूत्र ४२६-४३० ३. ओमराइणिए समणोवासए ३. अवमरात्निक: श्रमणोपासकः महा- ३. कुछ अवमरात्निक श्रमणोपासक महाकम्मे महाकिरिए अणातावी कर्मा महाक्रियः अनातापी अशमितः महाकर्मा, महाक्रिय, आनातापी और असमिते धम्मस्स अणाराहए धर्मस्य अनाराधको भवति,
अशमित होने के कारण धर्म की सम्यक् भवति,
आराधना करने वाले नहीं होते, ४. ओमराइणिए समणोवासए ४. अवमरात्निकः श्रमणोपासक: अल्प
४. कुछ अवमरात्निक श्रमणोपासक अल्पअप्पकम्मे अप्पकिरिए आतावी कर्मा अल्पक्रियः आतापी शमितः धर्मस्य कर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और शमित समिते धम्मस्स आराहए भवति। आराधको भवति ।
होने के कारण धर्म की सम्यक् आराधना
करने वाले होते हैं। महाकम्म-अप्पकम्म- महाकर्म-अल्पकर्म
महाकर्म-अल्पकर्मसमणोवासिया-पदं श्रमणोपासिका-पदम्
श्रमणोपासिका-पद ४२६. चत्तारि समणोवासियाओ चतस्रः श्रमणोपासिकाः प्रज्ञप्ताः, ४२६. श्रमणोपासिकाएं चार प्रकार की होती पण्णत्ताओ, तं जहा
तद्यथा१. राइणिया समणोवासिता महा- १. रानिकी श्रमणोपासिका महाकर्मा १. कुछ रात्निक श्रमणोपासिकाएं महाकम्मा ‘महाकिरिया अणायावी महाक्रिया अनातापिनी अशमिता धर्मस्य कर्मा, महाक्रिय, अनातापी और अशमित असमिता धम्मस्स अणाराधिया अनाराधिका भवति,
होने के कारण धर्म की सम्यक् आराधना भवति,
करने वाली नहीं होती, २. राइणिया समणोवासिता २. रात्निकी श्रमणोपासिका अल्पकर्मा २. कुछ रात्निक श्रमणोपासिकाएं अप्पकम्मा अप्पकिरिया आतावी अल्पक्रिया आतापिनी शमिता धर्मध्य अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समिता धम्मस्स आराहिया आराधिका भवति,
शमित होने के कारण धर्म की सम्यक् भवति,
आराधना करने वाली होती हैं, ३. ओमराइणिया समणोवासिता ३. अवमरात्निकी श्रमणोपासिका महा- ३. कुछ अवमरात्निक श्रमणोपासिमहाकम्मा महाकिरिया अणायावी कर्मा महाक्रिया अनातापिनी अशमिता काएं महाकर्मा, महाक्रिय, अनातापी और असमिता धम्मस्स अणाराधिया धर्मस्य अनाराधिका भवति,
अशमित होने के कारण धर्म की सम्यक् भवति,
आराधना करने वाली नहीं होती, ४. ओमराइणिया समणोवासिता ४. अवमरालिकी श्रमणोपासिका अल्प
४. कुछ अवमरात्निक श्रमणोपासिकाएं अप्पकम्मा अप्पकिरिया आतावी कर्मा अल्पक्रिया आतापिनी शमिता
अल्पकर्मा, अल्पक्रिय, आतापी और समिता धम्मस्स आराहिया धर्मस्य आराधिका भवति ।
शभित होने के कारण धर्म की सम्यक् भवति ।
आराधना करने वाली होती हैं। समणोवासग-पदं श्रमणोपासक-पदम्
श्रमणोपासक-पद ४३०. चत्तारि समणोवासगा पण्णता, तं चत्वारः श्रमणोपासका: प्रज्ञप्ता:. ४३०. श्रमणोपासक चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. माता-पिता के समान, अम्मापितिसमाणे, भातिसमाणे, अम्बापितृसमानः, भ्रातृसमानः,
२. भाई के समान, ३. मित्र के समान, मित्तसमाणे, सवत्तिसमाणे। मित्रसमानः, सपत्नीसमानः ।
४. सौत के समान"
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