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ठाणं (स्थान)
स्थान १ : आमुख
स्थान या अध्ययन ?
स्थानांग के विभाग अधिकांशतया स्थान के नाम से प्रसिद्ध हैं। वृत्तिकार ने उन्हें 'अध्ययन' भी कहा है। प्रत्येक अध्ययन में एक ही संख्या के लिए स्थान है, इसलिए अध्ययन का नाम स्थान रखना भी उचित है। प्रस्तुत विभाग को प्रथम स्थान या प्रथम अध्ययन दोनों कहा जा सकता है।
निक्षेप
प्रस्तुत अध्ययन का आकार छोटा है। इसका कारण विषय का संक्षेप है। इसके अनेक विषयों का विस्तार अग्रिम अध्ययनों में मिलता है । आधार-संकलन की दृष्टि से यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
१ स्थानांगबृत्ति, पत्न३: तत्र च दशाध्ययनानि।
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