SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 448
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठाणं (स्थान) ४०७ स्थान ५:सूत्र ४१५-४१८ ४१५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४१५. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष गण के लिए कार्य करते हैं, गणटकरे णाममेगे, णो माणकरे, गणार्थकर: नामैकः, नो मानकरः, अभिमानी नहीं होते, २. कुछ पुरुष माणकरे णाममेगे, णो गणटुकरे, मानकरः नामकः, नो गणार्थकरः, अभिमानी होते हैं, गण के लिए कार्य एगे गणटकरेवि, माणकरेवि, एकः गणार्थकरोऽपि, मानकरोऽपि, नहीं करते, ३. कुछ पुरुष गण के लिए एगे णो गणट्ठकरे, णो माणकरे। एकः नो गणार्थकरः, नो मानकरः । कार्य भी करते हैं और अभिमानी भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न गण के लिए कार्य करते हैं और न अभिमानी होते हैं। ४१६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४१६. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष गण के लिए संग्रह करते हैं, गणसंगहकरेणाममेगे, णो माणकरे, गणसंग्रहकर: नामकः, नो मानकरः, अभिमानी नहीं होते, २. कुछ पुरुष माणकरेणाममेगे, णो गणसंगहकरे, मानकर: नामैकः, नो गणसंग्रहकरः, अभिमानी होते हैं, गण के लिए संग्रह एगे गणसंगहकरेवि, माणकरेवि, एकः गणसंग्रहकरोऽपि, मानकरोऽपि, नहीं करते, ३. कुछ पुरुष गण के लिए एगे णो गणसंगहकरे, गोमाणकरे। एकः नो गणसंग्रहकरः, नो मानकरः। संग्रह भी करते हैं और अभिमानी भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न गण के लिए संग्रह करते हैं और न अभिमानी होते ४१७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि, प्रज्ञप्तानि, ४१७. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष गण की शोभा बढ़ाने वाले गणसोभकरेणाममेगे, णो माणकरे, गणशोभाकरः नामैकः, नो मानकरः, होते हैं, अभिमानी नहीं होते, २. कुछ माणकरे णाममेगे, णो गणसोभकरे, मानकरः, नामकः, नो गणशोभाकरः, पुरुष अभिमानी होते हैं, गण की एगे गणसोभकरेवि, माणकरेवि, एकः गणशोभाकरोऽपि, मानकरोऽपि, शोभा बढ़ाने वाले नहीं होते, ३. कुछ एगे णो गणसोभकरे, णो माणकरे। एकः नो गणशोभाकरः, नो मानकरः। पुरुष गण की शोभा भी बढ़ाने वाले होते हैं और अभिमानी भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न गण की शोभा बढ़ाने वाले होते हैं और न अभिमानी होते हैं। ४१८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४१८. पुरुष चार प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष गण की शुद्धि करने वाले जहातद्यथा होते हैं, अभिमानी नहीं होते, २. कुछ गणसोहिकरे णाममेगे, णो माणकरे, गणशोधिकरः नामैकः, नो मानकरः, पुरुष अभिमानी होते हैं, गण की शुद्धि माणकरे णाममेगे, णो गणसोहिकरे, मानकरः नामैकः, नो गणशोधिकरः, करने वाले नहीं होते, ३. कुछ पुरुष गण एगे गणसोहिकरेवि, माणकरेवि, एकः गणशोधिकरोऽपि, मानकरोऽपि, की शुद्धि करने वाले भी होते हैं और एगेणोगणसोहिकरे, णो माणकरे। एकः नो गणशोधिकरः, नो मानकरः । अभिमानी भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न गण की शुद्धि करने वाले होते हैं और न अभिमानी ही होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy