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ठाणं (स्थान)
४०३
स्थान ४ : सूत्र ४०१-४०४
बल-पदं बल-पदम्
बल-पद ४०१. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४०१. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, रूपबलसंपण्णे णाममेगे,
बलसम्पन्न: नामैकः, नो रूपसम्पन्न:, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष रूपणो रूवसपण्णे,
रूपसम्पन्न: नामैकः, नो बलसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते, रूवसंपण्णे णाममेगे,
एक: बलसम्पन्नोऽपि, रूपसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न भी होते हैं णो बलसंपण्णे,
एक: नो बलसम्पन्नः, नो रूपसम्पन्नः । और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे बलसंपण्णेवि, रूवसंपण्णेवि,
पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न रूपएगे णो बलसंपण्णे, णो रूवसंपण्णे ।
सम्पन्न होते हैं।
४०२. 'चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं
जहाबलसंपण्णे णाममेगे, णो सुयसंपण्णे, सुयसंपण्णे णाममेगे, गो बलसंपण्णे, एगे बलसंपण्णेवि, सुयसंपण्णेवि, एगे णो बलसंपण्णे, णो सुयसंपण्णे ।
चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४०२. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-- तद्यथा
१. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, श्रुतबलसम्पन्नः नामकः, नो श्रुतसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष श्रुतश्रुतसम्पन्नः नामकः, नो बलसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते, एक: बलसम्पन्नोऽपि, श्रुतसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न भी होते हैं और एक: नो बलसम्पन्नः, नो श्रुतसम्पन्नः । श्रुत-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न
बल-सम्पन्न होते हैं और न श्रुत-सम्पन्न होते हैं।
४०३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४०३. पुरुष चार प्रकार के होते हैं--- जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, शीलबलसंपण्णे णाममेगे,
बलसम्पन्न: नामैकः, नो शीलसम्पन्न:, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष शीलणो सीलसंपण्णे, शोलसम्पन्न: नामैक:, नो बलसम्पन्न:, सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते, सीलसंपण्णे णाममेगे, एक: बलसम्पन्नोऽपि, शीलसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न भी होते हैं णो बलसंपण्णे,
एक: नो बलसम्पन्नः, नोशीलसम्पन्नः। और शील-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे बलसंपण्णेवि, सीलसंपण्णेवि,
पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न शीलएगे णो बलसंपणे, णो सोलसंपण्णे।
सम्पन्न होते हैं।
४०४. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४०४. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, चरित्रबलसंपण्णे णाममेगे, बलसम्पन्नः नामैकः
सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष चरित्रणो चरित्तसंपण्णे, नो चरित्रसम्पन्न:,
सम्पन्न होते हैं, बल-सम्पन्न नहीं होते,
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