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ori (स्थान)
चरितसंपणे णाममेगे, णो बलसंपणे,
एगे बलसंपणेवि, चरितसंपण्णेवि, एगेण बलसंपणे णो च रित्तसंपणे
जहा - वसंपणे णाममेगे, णो सुयसंपणे, सुयसंपणे णाममेगे,
णो रुवसंपणे, गेरूवसंपणेवि, सुयसंपण्णेवि, एगे जो रूवसंपणे णो सुयसंपण्णे
रूव--पदं
रूप-पदम्
रूप-पद
४०५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि ४०५. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
जहा - रुवसंपणे णाममेगे, णो सीलसंपण्णे, सीलसंपणे णाममेगे, णो रुवसंपणे, एगे रूवसंपण्णेवि, सोलसंपण्णेवि, एगे णो रूवसंपणे, णोसीलसंपण्णे ।
४०४
चरित्र सम्पन्नः नामैकः नो बलसम्पन्नः, एक: बलसम्पन्नोऽपि, चरित्रसम्पन्नोऽपि,
एकः नो बलसम्पन्नः, नो चरित्र सम्पन्नः ।
जहा - रूवसंपणे णाममेगे,
णो चरित्तसंपणे, चरितसंपणे णाममेगे, णो रुवसंपणे, गेरूवसंपणेवि, चरितसंपण्णेवि, एगे जो रुवसंपणे णो चरित्तसंपणे '
तद्यथा
रूपसम्पन्नः नामैकः, नो श्रुतसम्पन्नः श्रुतसम्पन्नः नामैकः, नो रूपसम्पन्नः, एक: रूपसम्पन्नोऽपि श्रुतसम्पन्नोऽपि, नो रूपसम्पन्नः, नो श्रुतसम्पन्नः ।
एक:
४०६. 'चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४०६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ पुरुष रूप सम्पन्न होते हैं, शीलसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष शीलसम्पन्न होते हैं, रूप सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष रूप-सम्पन्न भी होते हैं और शील-सम्पन्न भी होते हैं, ४, कुछ पुरुष न रूप- सम्पन्न होते हैं और न शील-सम्पन्न होते हैं ।
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तद्यथा---
रूपसम्पन्नः नामैकः, नो शीलसम्पन्नः, शीलसम्पन्नः नामैकः, नो रूपसम्पन्नः, एकः रूपसम्पन्नोऽपि, शीलसम्पन्नोऽपि, एक: नो रूपसम्पन्नः, नो शीलसम्पन्नः ।
स्थान ४ : सूत्र ४०५-४०७ ३. कुछ पुरुष बल सम्पन्न भी होते हैं और चरित्र - सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न बल-सम्पन्न होते हैं और न चरित्र सम्पन्न होते हैं।
४०७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४०७. पुरुष चार प्रकार के होते हैं—
१. कुछ पुरुष रूप- सम्पन्न होते हैं, चरित्रसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष चरित्रसम्पन्न होते हैं, रूप- सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष रूप सम्पन्न भी होते हैं और चरित्र सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न रूप-सम्पन्न होते हैं और न चरित्र-सम्पन्न होते हैं ।
तद्यथा— रूपसम्पन्नः नामैकः, नो चरित्र सम्पन्नः, चरित्र सम्पन्नः नामैकः, नो रूपसम्पन्नः, एक: रूपसम्पन्नोऽपि, चरित्रसम्पन्नोऽपि, एक: नो रूपसम्पन्नः, नो चरित्र सम्पन्नः ।
९. कुछ पुरुष रूप- सम्पन्न होते हैं, श्रुतसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष श्रुतसम्पन्न होते हैं, रूप-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष रूप- सम्पन्न भी होते हैं और श्रुत-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न रूप सम्पन्न होते हैं और न श्रुतसम्पन्न होते हैं ।
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