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________________ ठाणं (स्थान) स्थान ४ : सूत्र ३४-३६६ १. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, श्रुतसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष श्रुतसम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष जाति सम्पन्न भी होते हैं और श्रुत-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न जाति सम्पन्न होते हैं और न श्रुत-सम्पन्न होते हैं । ३६४. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि ३६४. पुरुष चार प्रकार के होते हैं तद्यथा जातिसम्पन्नः नामैकः, नो शीलसम्पन्नः, शीलसम्पन्नः नामकः, नो जातिसम्पन्नः, एकः जातिसम्पन्नोऽपि, शीलसम्पन्नोऽपिः, एक: नो जातिसम्पन्नः, नो शीलसम्पन्नः । ९. कुछ पुरुष जाति सम्पन्न होते हैं, शीलसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष शीलसम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष जाति सम्पन्न भी होते हैं। और शील-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न जाति सम्पन्न होते हैं और न शील-सम्पन्न होते हैं । जातिसंपणे णाममेगे, णो सुसंपणे, सुयसंपणे णाममेगे, णो जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपणेवि, सुयसंपण्णेवि, एगे जो जातिसंपणे, णो सुयसंपणे ! जहा - जातिसंपण्णे णाममेगे णो सीलसंपणे, सीलसंपणे णाममेगे, णो जातिसंपणे, एगे जातिसंपणे वि, सोलसंपणेवि, एगे जो जातिसंपणे, णो सीलसंपण्णे । ३६५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि ३६५ पुरुष चार प्रकार के होते हैं— तद्यथा - जातिसम्पन्नः नामैकः, नो चरित्र सम्पन्नः, चरित्र सम्पन्नः नामैकः, १. कुछ पुरुष जाति सम्पन्न होते हैं, चरित्र सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष चरित्र सम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी होते हैं और चरित्र सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न जाति सम्पन्न होते हैं और न चरित्र-सम्पन्न होते हैं । नो जातिसम्पन्नः, एक: जातिसम्पन्नोऽपि, चरित्र सम्पन्नोऽपि, एक: नो जातिसम्पन्नः, नो चरित्र सम्पन्नः । जहा -- जातिसंपण्णे णाममेगे, चरित संपणे, णो चरितसंपणे णाममेगे, ४०१ जातिसम्पन्नः नामैकः, नो श्रुतसम्पन्नः, श्रुतसम्पन्नः नामैकः, नो जातिसम्पन्नः, एकः जातिसम्पन्नोऽपि श्रुतसम्पन्नोऽपि, एकः नो जातिसम्पन्नः, नो श्रुतसम्पन्नः । णो जातिसंपणे, एगे जातिसंपण्णेवि, चरित्तसंपण्णेवि, एगे णो जातिसंपणे, णो चरितसंपणे । कुल- पदं कुल-पदम् कुल पद ३६. वत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३६६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं तद्यथा कुलसम्पन्नः नामैकः, नो बलसम्पन्नः, बलसम्पन्नः नामैकः, नो कुलसम्पन्नः, एकः कुलसम्पन्नोऽपि बलसम्पन्नोऽपि, एकः नो कुल सम्पन्नः, नो वलसम्पन्नः । जहा - कुल संपण्णे णाममेगे, णो बलसंपण्णे, बलसंपणे णाममेगे, णो कुलसंपण्णे, एगे कुलसंपण्णेवि, बलसंपण्णेवि, एगे णो कुल संपणे, णो बलसंपण्णे । Jain Education International For Private & Personal Use Only 1 १. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न होते हैं, बलसम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष बल-सम्पन्न होते हैं, कुल सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष कुल सम्पन्न भी होते हैं और बलसम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न कुलसम्पन्न होते हैं और न बल-सम्पन्न होते हैं । www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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