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________________ ठाणं (स्थान) ४०० स्थान ४ : सूत्र ३६०-३६३ जाति-पदं जाति-पदम् जाति-पद ३६०. चत्तारि पुरिसजाया पण्णता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३६०. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, कुलजातिसंपण्णे णाममेगे, जातिसम्पन्नः नामकः, नो कुलसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष कुलणो कुलसंपण्णे, कूलसम्पन्नः नामकः, नो जातिसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, कुलसंपण्णे णाममेगे, एकः जातिसम्पन्नोऽपि, कुलसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी होते हैं णो जातिसंपण्णे, एक: नो जातिसम्पन्नः, नो कुलसम्पन्नः। और कुल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे जातिसंपण्णेवि, पुरुष न जाति-सम्पन्न होते हैं और न कुलसंपण्णेवि, कुल-सम्पन्न होते हैं। एगे णो जातिसंपण्णे, णो कुलसंपण्णे। ३६१. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३६१. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, बलजातिसंपण्णे णाममेगे, जातिसम्पन्नः नामैकः, नो बलसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष बलणो बलसंपण्णे, बलसम्पन्नः नामैकः, नो जातिसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, बलसंपण्णे णाममेगे, एकः जातिसम्पन्नोऽपि, बलसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी होते हैं जो जातिसंपण्णे, एक: नो जातिसम्पन्नः, नो बलसम्पन्नः। और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे जातिसंपण्णेवि, बलसंपण्णेवि, पुरुष न जाति-सम्पन्न होते हैं और न एगे णोजातिसंपण्णे, णो बलसंपण्णे। बल-सम्पन्न होते हैं। ३६२. 'चत्तारि पूरिसजाया पण्णत्ता तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३६२. पुरुष चार प्रकार के होते हैं...... तद्यथा १. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, रूपजातिसंपण्णे णाममेगे, जातिसम्पन्नः नामैकः, नो रूपसम्पन्नः, सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष रूपणो रूवसंपण्णे, रूपसम्पन्नः नामैकः, नो जातिसम्पन्नः, सम्पन्न होते हैं, जाति-सम्पन्न नहीं होते, रूवसंपण्णे णाममेगे, एकः जातिसम्पन्नोऽपि, रूपसम्पन्नोऽपि, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी होते हैं णो जातिसंपण्णे, एकः नो जातिसम्पन्न:, नो रूपसम्पन्नः। और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ एगे जातिसंपण्णेवि, पुरुष न जाति-सम्पन्न होते हैं और न रूवसंपण्णेवि, रूप-सम्पन्न होते हैं। एगे णो जातिसंपण्णे, णो रूवसंपण्णे। ३६३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३६३. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहा तद्यथा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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