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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ३८६-३८८ ३८६. चत्तारि गया पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः गजाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ४८६. हाथी चार प्रकार के होते हैंजुत्ते णामणेगे जुत्तरूवे, युक्त: नामक: युक्तरूपः,
१. कुछ हाथी युक्त होकर युक्त-रूप वाले जुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, युक्तः नामैक: अयुक्तरूपः,
होते हैं, २. कुछ हाथी युक्त होकर अयुक्त
रूप वाले होते हैं, ३. कुछ हाथी अयुक्त अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अयुक्त: नामकः युक्तरूपः,
होकर युक्त-रूप वाले होते हैं, ४. कुछ अजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे। अयुक्तः नामैक: अयुक्तरूपः।
हाथी अयुक्त होकर अयुक्त-रूप वाले
होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के होते हैंपण्णत्ता, तं जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष युक्त होकर युक्त-रूप वाले जुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, युक्तः नामकः युक्तरूपः,
होते हैं, २. कुछ पुरुष युक्त होकर अयुक्तजुत्ते णाममेगे अजुत्तरूवे, युक्त: नामैक: अयुक्तरूपः,
रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष अयुक्त अजुत्ते णाममेगे जुत्तरूवे, अयुक्त: नामैकः युक्तरूपः, होकर युक्त-रूप वाले होते हैं, ४. कुछ अजुत्ते णाममेगे जजुत्तरूवे। अयुक्तः नामैक: अयुक्तरूपः । पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त-रूप वाले होते
३८७. चत्तारि गया पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः गजाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- ३८७. हाथी चार प्रकार के होते हैंजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, युक्त: नामकः युक्तशोभः,
१. कुछ हाथी युक्त होकर युक्त शोभा जुत्ते णाममेगे अजुत्त सोभे, युक्त: नामैकः अयुक्तशोभः,
वाले होते हैं, २. कुछ हाथी युक्त होकर अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अयुक्तः नामैकः युक्तशोभः,
अयुक्त शोभा वाले होते हैं, ३. कुछ हाथी अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे। अयुक्त: नामक: अयुक्तशोभः । अयुक्त होकर युक्त शोभा वाले होते हैं,
४. कुछ हाथी अयुक्त होकर अयुक्त शोभा
वाले होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथाजुत्ते णामभेगे जुत्तसोभे, युक्तः नामैकः युक्तशोभः, १. कुछ पुरुष युक्त होकर युक्त शोभा जुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे, युक्तः नामकः अयुक्तशोभः, वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष युक्त होकर अजुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे, अयुक्तः नामैक: युक्तशोभः,
अयुक्त शोभा वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुप अजुत्ते णाममेगे अजुत्तसोभे । अयुक्तः नामकः अयुक्तशोभः। अयुक्त होकर युक्त शोभा वाले होते हैं,
४. कुछ पुरुष अयुक्त होकर अयुक्त शोभा वाले होते हैं।
पंथ-उप्पह-पदं पथ-उत्पथ-पदम्
पथ-उत्पथ-पद ३८८. चत्तारि जुग्गारिता पण्णत्ता, तं चत्वारि युग्यऋतानि प्रज्ञप्तानि, ३८८. युग्य [ घोड़े आदि का जोड़ा] का ऋत जहातद्यथा
[गमन] चार प्रकार का होता हैपंथजाई णाममेगे, नो उप्पहजाई, पथयायि नामैकः, नो उत्पथयायि, १. कुछ युग्य मार्गगामी होते हैं, उन्मार्गउप्पहजाई णाममेगे, नो पंथजाई, उत्पथयायि नामक, नो पथयायि, गामी नहीं होते, २. कुछ युग्य उन्मार्ग
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