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स्थान ४: सूत्र २४६-२४८
ठाणं (स्थान)
रण्णो बलवाहणकहा, रणो कोसकोट्ठागारकहा।
राज्ञः बलवाहनकथा, राज्ञः कोशकोष्ठागारकथा।
निर्याण-निष्क्रमण की कथा करना, ३. राजा की सेना और वाहनों की कथा करना, ४. राजा के कोश और कोष्ठागार-अनाज के कोठों की कथा करना।
कहा-पदं
कथा-पदम्
कथा-पद २४६. चउव्विहा कहा पण्णत्ता, तं जहा- चतुविधा कथा प्रज्ञप्ता, तद्यथा- २४६. कथा चार प्रकार की होती है
अक्खेवणी, विक्खेवणी, आक्षेपणी, विक्षेपणी, संवेजनी, १. आक्षेपणी-ज्ञान और चारित्र के प्रति संवेयणी, णिव्वेदणी। निर्वेदनी।
आकर्षण उत्पन्न करने वाली कथा, २. विक्षेपणी-सन्मार्ग की स्थापना करने वाली कथा, ३. संवेजनी-जीवन की नश्वरता और दुःखबहुलता तथा शरीर की अशुचिता दिखाकर वैराग्य उत्पन्न करने वाली कथा, ४. निवेदनी-कृत कर्मो के शुभाशुभ फल दिखला कर संसार
के प्रति उदासीन बनाने वाली कथा।" २४७. अक्खेवणी कहा चउन्विहा पण्णत्ता, आक्षेपणी कथा चतुर्विधा प्रज्ञप्ता, २४७. आक्षेपणी कथा के चार प्रकार हैंतं जहातद्यथा
१. आचारआक्षेपणी-जिसमें आधार का आयारअक्खेवणी,
आचाराक्षेपणी, व्यवहाराक्षेपणी, निरूपण हो, २. व्यवहारआक्षेपणीववहारअक्खेवणी,
प्रज्ञप्त्याक्षेपणी, दृष्टिवादाक्षेपणी। जिसमें व्यवहार-प्रायश्चित्त का निरूपण्णत्तिअक्खेवणी,
पण है, ३. प्रज्ञप्तिआक्षेपणी-जिसमें दिद्विवातअक्खेवणी।
संशयग्रस्त श्रोता को समझाने के लिए निरूपण हो, ४. दृष्टिपातआक्षेपणीजिसमें थोता की योग्यता के अनुसार
विविध नयदृष्टियों से तत्त्व-निरूपण हो।" २४८. विक्खेवणी कहा चउब्विहा पण्णत्ता, विक्षेपणी कथा चतुर्विधा प्रज्ञप्ता, २४८. विक्षेपणीकथा के चार प्रकार हैंतं जहा—ससमयं कहेइ, तद्यथा-स्वसमयं कथयति,
१. एक सम्यकदष्टि व्यक्ति-अपने ससमयं कहित्ता परसमयं कहेइ, स्वसमयंकथयित्त्वा परसमयं कथयति, । सिद्धान्त का प्रतिपादन कर फिर दूसरों परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावइता परसमयं कथयित्वा स्वसमयं स्थापयिता
के सिद्धान्त का प्रतिपादन करता है, भवति,
२. दूसरों के सिद्धान्त का प्रतिपादन कर भवति,
फिर अपने सिद्धान्त की स्थापना करता सम्मावयं कहेइ, सम्मावायं कहेत्ता सम्यग्वादं कथयति, सम्यग्वादं कथ
है, ३. सम्यवाद का प्रतिपादन कर फिर मिच्छावायं कहेइ, यित्वा मिथ्यावादं कथयति,
मिथ्यावाद का प्रतिपादन करता है, मिच्छवायं कहेता सम्मावायं मिथ्यावादं कथयित्वा सम्यगवादं ४. मिथ्यावाद का प्रतिपादन कर फिर ठावइता भवति। स्थापयिता भवति।
सम्यग्वाद की स्थापना करता है।"
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