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________________ ( ३८ ) १२. अहं की उत्पत्ति के साधन १३. समाधि के कारण १४. असमाधि के प्रकार १५. प्रव्रज्या के प्रकार १६. श्रमण-धर्म १७. वैयावृत्य के प्रकार १८. जीव परिणाम के प्रकार १६. अजीव परिणाम के प्रकार २०. अंतरिक्ष से संबंधित अस्वाध्याय के प्रकार २१. औदारिक-अस्वाध्याय २०-२३. पंचेन्द्रिय प्राणियों से संबंधित संयम-असंयम २४. सूक्ष्मों के प्रकार २५-२६. मंदर पर्वत की दक्षिण-उत्तर की महानदियाँ २७. भरत क्षेत्र की राजधानियां २८. राजधानियों से प्रवजित होने वाले राजे २६. मंदर पर्वत का परिमाण ३०-३१. दिशाएं और उनके नाम ३२. लवण समुद्र का गोतीर्थ विरहित क्षेत्र ३३. लवण समुद्र की उदगमाला का परिमाण ३४-३५. महापाताल और क्षुद्रपाताल ३६-३७. धातकीषण्ड और पुष्करवरद्वीप के मंदर पर्वत का परिमाण ३८. वृत्तवताय पर्वत का परिमाण ३६. जम्बूद्वीप के क्षेत्र ४०. मानुषोत्तर पर्वत का विष्कंभ ४१. अंजन पर्वत का परिमाण ४२. दधिमुख पर्वत का परिमाण ४३. रतिकर पर्वत का परिमाण ४४. रुचकवर पर्वत का परिमाण ४५. कुंडल पर्वत का परिमाण ४६. द्रव्यानुयोग के प्रकार ४७-६१. उत्पाद पर्वतों का परिमाण ६२. बादर बनस्पतिकाय के शरीर की अवगाहना ६३-६४. जलचर-थलचर जीवों के शरीर की अवगाहना ६५. अर्हत् संभव और अहंत अभिनंदन का अन्तराल काल ६६. अनन्त के प्रकार ६७-६८. उत्पाद पूर्व और अस्तिनास्तिप्रवाद पूर्व के अधिकार ६६. प्रतिसेवना के प्रकार ७०. आलोचना के दोष ७१. आत्मदोष की आलोचना करने वाले के गुण ७२. आलोचना देने वाले के गुण ७३. प्रायश्चित्त के प्रकार ७४. मिथ्यात्व के प्रकार ७५. अर्हत् चन्द्रप्रभ का आयुष्य ७६. अर्हत् धर्म का आयुष्य ७७. अर्हत् नमी का आयुष्य ७८. पुरुषसिंह वासुदेव का आयुष्य ७६. अर्हत् नेमी की ऊंचाई और आयुष्य ८०. वासुदेव कृष्ण की ऊंचाई और आयुष्य ८१-८२. भवनवासी देवों के प्रकार और उनके चैत्यवृक्ष ८३. सुख के प्रकार ८४. उपघात के प्रकार ८५. विशोधि के प्रकार ८६. संक्लेश के प्रकार ८७. असंक्लेश के प्रकार ५८. बल के प्रकार ८६. भाषा के प्रकार ६०. मृषा के प्रकार ६१. सत्यामृषा के प्रकार ६२. दृष्टिवाद के नाम ६३. सत्य के प्रकार ६४. दोषों के प्रकार ६५. विशेष के प्रकार ६६. शुद्ध वाचानुयोग के प्रकार १७. दान के प्रकार १८. गति के प्रकार ६६. मुंड के प्रकार १००. संख्यान (संख्या) के प्रकार १०१. प्रत्याख्यान के प्रकार १०२. सामाचारी १०३. महावीर के स्वप्न १०४. रुचि के प्रकार १०५-१०७. संज्ञाएं १०८. नैरयिकों की वेदना के प्रकार १०६. छद्मस्थ और केबली का सर्वभाव से जानना देखना ११०-१२०. दस दसाएँ (ग्रन्थ विशेष) और उनके अध्ययनों का नाम-निर्देश १२१. अवसर्पिणी का कालमान १२२. उत्सपिणी का कालमान १२३. अनन्तर और परंपर के आधार पर जीवों का वर्गीकरण For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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