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________________ Ou ( ३६ ) १२४. पंकप्रभा के नरकावास १५०. इन्द्रों के पारियानिक विमान १२५-१२७. रत्नप्रभा, पंकप्रभा और धूमप्रभा में उत्पन्न १५१. भिक्षु-प्रतिमा नैरयिको की स्थिति १५२-१५३. संसारी जीव १२८. भवनवासी देवों की जघन्य स्थिति १५४. शतायुष्य के आधार पर दस दशाएं १२९. बादर बनस्पतिकायिक जीवों की उत्कृष्ट १५५. तृणवनस्पति के प्रकार स्थिति १५६. विद्याधर श्रेणी का विष्कंभ १३०. वानव्यंतर देवों की जघन्य स्थिति १५७. आभियोग श्रेणी का विष्कंभ १३१. ब्रह्मलोक के देवों की उत्कृष्ट स्थिति १५८. ग्रैवेयक विमानों की ऊंचाई १३२. लांतक देवों की जघन्य स्थिति १५६. तेज से भस्म करने के कारण १३३. भावी कल्याणकारी कर्म के हेतु १६०. अच्छेरक (आश्चर्य) १३४. आशंसा (तीव्र इच्छा) के प्रकार १६१-१६३. विभिन्न कंडों का बाहल्य १३५. धर्म के प्रकार १६४. द्वीप-समुद्रों का उत्सेध १३६. स्थविरों के प्रकार १६५. महाद्रह का उत्सेध १३७. पुनों के प्रकार १६६. सलिल कुंड का उत्सेध १३८. केवली के दस अनुत्तर १६७. सीता-सीतोदा महानदी का उत्सेध १३६. कुराओं की संख्या, महाद्रुम और देव १६८-१६६. नक्षत्रों का मंडल १४०-१४१. दुस्समा और सुसमा को जानने के हेतु १७०. ज्ञान की वृद्धि करने वाले नक्षत्र १४२. कल्पवृक्ष १७१-१७२. तिर्यञ्च जीवों की कुलकोटियां १४३-१४४. अतीत और आगामी उत्सर्पिणी के कुलकर १७३. पाप-कर्मरूप में निर्वतित पुद्गल १४५-१४७. वक्षस्कार पर्वत १७४-१७८. पुद्गल-पद १४८. इन्द्राधिष्ठित देवलोक परिशिष्ट-१ विशेषानुक्रम १४६. इन्द्र परिशिष्ट-२ प्रयुक्त ग्रन्थ-सूची Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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