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________________ १०७. संयम के प्रकार १०८. अधोपृथिवियों के नाम १०६. ईषद् प्राग्भारा पृथ्वी का परिमाण ११०. ईषद् प्राग्भारा पृथ्वी के पर्यायवाची नाम १११. आठ स्थानों में प्रमाद नहीं करना ११२. विमानों की ऊंचाई ११३. अर्हत् अरिष्टनेमि की वादि-संपदा ११४. केवली समुदघात का काल-परिमाण और स्वरूप निर्देश ११५. महावीर की अनुत्तरोपपतिक देवलोक में उत्पन्न _होने वालों की संख्या ११६. वानव्यंतर देवों के प्रकार ११७. वानव्यंतर देवों के चैत्यवृक्ष ११८. रत्नप्रभा पृथ्वी से ज्योतिषचक्र की दूरी ११६. चन्द्रमा के साथ प्रमर्द योग करने वाले नक्षत्र १२०. जम्बूद्वीप के द्वारों की ऊंचाई १२१. सभी द्वीप-समुद्रों के द्वारों की ऊंचाई १२२-१२४. कर्मों की बंध-स्थिति १२५. त्रीन्द्रिय जीवों की कुलकोटियां १२६. पाप-कर्म रूप में निर्वतित पुद्गल १२७-१२८. पुद्गल-पद २४. शरीर के नौ स्रोत २५. पुण्य के प्रकार २६. पाप के प्रकार २७. पापश्रुत-प्रसंग २८. नपुणिक-वस्तु (विविध विधाओं में दक्ष पुरुष) का निर्देश २६. महावीर के गण ३०. नवकोटि परिशुद्ध भिक्षा ३१. अग्रमहिषियां ३२. अग्रमहिषियों की स्थिति ३३. ईशान कल्प में देवियों की स्थिति ३४. देवनिकाय ३५-३७. देवताओं के देवों की संख्या ३८-३६. ग्रेवेयक विमानों के प्रस्तट और उनके नाम ४०. आयुपरिमाण ४१. भिक्षु-प्रतिमा ४२. प्रायश्चित्त के प्रकार ४३-५८. विविध पर्वतों के कूट (शिखर) ५६. अर्हत् पार्श्व का संहनन, संस्थान और ऊंचाई ६०. महावीर के तीर्थ में तीर्थंकर नामगोत्र कर्म का उपार्जन करने वालों का नाम-निर्देश ६१. भावी तीर्थकर ६२. अर्हत् महापद्म का अतीत और अनागत ६३. चन्द्रमा के पृष्ठभाग से योग करने वाले नक्षत्र ६४. विमानों की ऊंचाई ६५. विमलवाहन कुलकर की ऊंचाई ६६. अर्हत् ऋषभ का तीर्थ-प्रर्वतन ६७. द्वीपों का आयाम-विष्कंभ ६८. शुक्र की वीथियां ६६. नो-कषायवेदनीय कर्म के प्रकार ७०-७१. कुलकोटियां ७२. पाप-कर्मरूप में निर्वतित पुद्गल ७३. पुद्गल-पद दसवां स्थान १.लोकस्थिति के प्रकार २. शब्दों के प्रकार ३-५. संभिन्नश्रोतोलब्धि के सूत्र ६. अच्छिन्न पुद्गलों के चलित होने के हेतु ७. क्रोध की उत्पत्ति के कारण ८-६. संयम और असंयम १०.संवर के प्रकार ११. असंवर के प्रकार नौवां स्थान १. सांभोगिक को विसांभोगिक करने के हेतु २. ब्रह्मचर्य (आचारांग सूत्र) के अध्ययन ३-४. ब्रह्मचर्य की गुप्ति और अगुप्ति के प्रकार ५. अर्हत् सुमति का अन्तराल काल ६. तत्त्वों का नाम निर्देश ७. संसारी जीवों के प्रकार ५-६. गति-आगति १०. जीवों के प्रकार ११. जीवों की अवगाहना १२. संसार १३. रोगोत्पत्ति के कारण १४. दर्शनावरणीय कर्म के प्रकार १५-१६. चन्द्रमा के साथ योग करने वाले नक्षत्र १७. रत्नप्रभा पृथ्वी से तारों की दूरी १८. मत्स्यों की लम्बाई १९-२०. बलदेव वासुदेव के माता-पिता आदि २१. महानिधियों का विष्कंभ २२. नव निधियों का वर्णन २३. विकृतियां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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