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ठाणं (स्थान)
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एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि पण्णत्ता, त जहातं प्रज्ञप्तानि तद्यथाबलसंपणे णामं एगे, णो रूव- बलसम्पन्नः नामैकः, नो रूपसम्पन्नः, संपण्णे, रुवसंपणे णामं एगे, रूपसम्पन्नः नामैकः, नो बलसम्पन्नः, णो बलसंपण्णे, एगे बलसंपण्णेवि, एकः बलसम्पन्नोऽपि रूपसम्पन्नोऽपि, रुवसंपण्णेवि, एगे णो बलसंपण्णे, एकः नो बलसम्पन्नः, नो रूपसम्पन्नः । णो रुवसंपणे ।
हत्थि - पदं
२३६. चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहाभद्दे, मंदे, मिए, संकिणे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया
पण्णत्ता, तं जहा -- भद्दे, मंदे, मिए, संकिणे ।
२३७. चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहाभद्दे णाममेगे भद्दमणे,
भद्दे णाममेगे मंदमणे,
भद्दे णाममेगे मियमणे, भद्दे णाममे संकिणमणे ।
२३८. चत्तारि हत्थी पण्णत्ता, तं जहामंदे णाममेगे भद्दमणे,
हस्ति-पदम्
चत्वार: हस्तिनः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा— भद्रः, मन्दः, मृगः, संकीर्णः । एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
तद्यथा—
भद्रः, मन्दः, मृगः, संकीर्णः ।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि
पण्णत्ता, तं जहा
भद्दे णाममेगे भद्दमणे,
प्रज्ञप्तानि तद्यथा— भद्रः नामैकः भद्रमनाः, भद्रः नामैकः मन्दमनाः,
भद्दे णामगे मंदमणे,
भद्दे णाममेगे मियगणे, भद्दे णाममेगे संकिणमणे ।
भद्रः नामैक: मृगमनाः, भद्रः नामैकः संकीर्णमनाः ।
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चत्वारः हस्तिनः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाभद्रः नामैक: भद्रमनाः, भद्रः नामैकः मन्दमनाः,
भद्रः नामैक: मृगमनाः, भद्रः नामैकः संकीर्णमनाः ।
चत्वार: हस्तिनः प्रज्ञप्ताः, तद्यथामन्दः नामैक: भद्रमनाः,
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स्थान ४ : सूत्र २३६-२३८
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं - १. कुछ पुरुष बल सम्पन्न होते हैं, किन्तु रूप-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष रूप सम्पन्न होते हैं, किन्तु बलसम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ पुरुष बलसम्पन्न भी होते हैं और रूप-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न बल सम्पन्न होते हैं और न रूप सम्पन्न ही होते हैं।
हस्ति-पद
२३६. हाथी चार प्रकार के होते हैं
१. भद्र - धैर्य आदि गुणयुक्त, २. मंदधैर्य आदि गुणों की मंदता वाला, ३. मृग - भीरु, ४. संकीर्ण - जिसमें स्वभाव की विविधता हो ।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं- १. भद्र, २. मंद ३. मृग, ४. संकीर्ण ।
२३७. हाथी चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ हाथी भद्र होते हैं और उनका मन भीभद्र होता है, २. कुछ हाथी भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ हाथी भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ हाथी भद्र होते
हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं - १. कुछ पुरुष भद्र होते हैं और उनका मन भी भद्र होता है, २. कुछ पुरुष भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मंद होता है, ३. कुछ पुरुष भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन मृग होता है, ४. कुछ पुरुष भद्र होते हैं, किन्तु उनका मन संकीर्ण होता है। २३८. हाथी चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ हाथी मंद होते हैं, किन्तु उनका
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