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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र २२६-२३१
जाति-पदं जाति-पदम्
जाति-पद २२६. चत्तारि उसभा पण्णत्ता, तं चत्वारः ऋषभाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- २२६. बृषभ चार प्रकार के होते हैंजहा—जातिसंपण्णे, कुलसंपण्णे, जातिसम्पन्नः, कुलसम्पन्नः,
१. जाति-सम्पन्न, २. कुल-सम्पन्न, बलसंपण्णे, रूवसंपण्णे। बलसम्पन्नः, रूपसम्पन्नः ।
३. बल-सम्पन्न, ४. रूप-सम्पन्न । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा
हैं-१. जाति-सम्पन्न, २. कुल-सम्पन्न, जातिसंपण्णे, 'कुलसंपण्णे, जातिसम्पन्नः, कुलसम्पन्नः,
३. बल-सम्पन्न, ४. रूप-सम्पन्न । बलसंपण्णे, रूवसंपण्णे। बलसम्पन्नः, रूपसम्पन्नः । २३०. चत्तारि उसभा पण्णत्ता, तं । चत्वारः ऋपभाः प्रज्ञप्ताः तदयथा... २३०. वृषभ चार प्रकार के होते हैंजहा
जातिसम्पन्नः नामकः, नो कुलसम्पन्नः, १. कुछ वृषभ जाति-सम्पन्न होते हैं, किन्तु जातिसंपण्णे णामं एगे, णो कुल- कुलसम्पन्नः नामैकः, नो जातिसम्पन्नः, कुल-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ वृषभ संपण्णे, कुलसंपण्णे णामं एगे, णो एकः जातिसम्पन्नोऽपि, कुलसम्पन्नोऽपि, । कुल सम्पन्न होते हैं, किन्तु जाति-सम्पन्न जातिसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेवि, एकः नो जातिसम्पन्नः, नो कुल- नहीं होते, ३. कुछ वृषभ जाति-सम्पन्न कुलसंपण्णेवि, एगे णो जाति संपण्णेसम्पन्नः ।
भी होते हैं और कुल-सम्पन्न भी होते हैं, णो कुलसंपण्णे।
४. कुछ वृषभ न जाति-सम्पन्न होते हैं
और न कुल-सम्पन्न ही होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णता, तं जहा- तद्यथाजातिसंपण्णे णाममेगे, णो जातिसम्पन्नः नामकः, नो कुलसम्पन्नः, । १. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न होते हैं, किन्तु कुलसंपण्णे, कुलसंपण्णे णाममेगे, कुलसम्पन्नः नामकः, नो जातिसम्पन्नः, . कुल-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ पुरुष कुलणो जातिसंपण्णे, एगे जाति- एकः जातिसम्पन्नोऽपि, कुलसम्पन्नोऽपि, । सम्पन्न होते हैं, किन्तु जाति-सम्पन्न नहीं संपण्णेवि, कुलसंपण्णेवि। एकः नो जातिसम्पन्नः, नो कुलसम्पन्नः।। होते, ३. कुछ पुरुष जाति-सम्पन्न भी एगे णो जातिसंपण्णे, णो कुलसंपण्णे ।
होते हैं और कुल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ पुरुष न जाति-सम्पन्न होते हैं
और न कुल-सम्पन्न ही होते हैं। २३१. चत्तारि उसभा पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारः ऋषभाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- २३१. वृषभ चार प्रकार के होते हैं
जातिसंपण्णे णाम एगे, णो बल- जातिसम्पन्नः नामैकः, नो बलसम्पन्नः, १. कुछ वृषभ जाति-सम्पन्न होते हैं, संपण्णे, बलसंपण्णे णामं एगे, बलसम्पन्नः नामैकः, नो जातिसम्पन्न:, किन्तु बल-सम्पन्न नहीं होते, २. कुछ णो जातिसंपण्णे, एगे जाति- एकः जातिसम्पन्नोऽपि, बलसम्पन्नोऽपि, वृषभ बल-सम्पन्न होते हैं, किन्तु जातिसंपण्णेवि, बलसंपण्णेवि, एगे णो एकः नो जातिसम्पन्नः, नोबलसम्पन्नः । सम्पन्न नहीं होते, ३. कुछ वृषभ जातिजातिसंपण्णे, णो बलसंपण्णे।
सम्पन्न भी होते हैं और बल-सम्पन्न भी होते हैं, ४. कुछ वृषभ न जाति-सम्पन्न होते हैं और न बल-सम्पन्न ही होते हैं ।
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