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________________ स्थान ४ : सूत्र २१६-२१६ से आर्य, किन्तु अनार्य संकल्प वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य संकल्प वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य संकल्प वाले होते हैं। २१६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २१६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष जाति से आर्य और आर्य प्रज्ञा वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य प्रज्ञा वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य प्रज्ञा वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य प्रज्ञा वाले होते हैं। २१७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २१७. पुरुष चार प्रकार के होते हैं १. कुछ पुरुष जाति से आर्य और आर्य दृष्टि वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य दृष्टि वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य दृष्टि वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य दृष्टि वाले होते हैं। २१८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २१८. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहा - तद्यथाअज्जे णाममेगे अज्जसीलाचारे, आर्यः नामैक: आर्यशीलाचारः, अज्जे नाममेगे अणज्जसीलाचारे, आर्यः नामकः अनार्यशीलाचारः, अणज्जे णाममेगे अज्जसीलाचारे, अनार्यः नामैक: आर्यशीलाचार:, अणजे नाममेगे अणज्जसीलाचारे । अनार्यः नामैकः अनार्यशीलाचारः । १. कुछ पुरुष जाति से आर्य और आर्य शीलाचार वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य शीलाचार वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य शीलाचार वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य शीलाचार वाले होते हैं। २१६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २१६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं तद्यथा— आर्यः नामैकः आर्यव्यवहारः, आर्यः नामैकः अनार्यव्यवहारः, अनार्यः नामैकः आर्य व्यवहारः, अनार्यः नामैकः अनार्यव्यवहारः । १. कुछ पुरुष जाति से आर्य और आर्य व्यवहार वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से आर्य, किन्तु अनार्य व्यवहार वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अनार्य, किन्तु आर्य व्यवहार वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अनार्य और अनार्य व्यवहार वाले होते हैं । ठाणं (स्थान) अज्जे णाममेगे अणज्जसंकध्पे, अणज्जे णाममेगे अज्जसं कप्पे, अणज्जे णाममेगे अणज्जसंकप्पे । जहा— अज्जे णाममेगे अज्जपणे, अज्जे णाममेगे अणज्जपणे, अणज्जे जाममेगे अज्जपणे, अणज्जे णाममेगे अणज्जपणे । जहा - अज्जे जाममेगे अज्जदिट्ठी, अज्जे णाममेगे अणज्जदिट्ठी, अणज्जे णाममेगे अज्जदिट्ठी, अणज्जे णाममेगे अणज्जदिट्ठी । जहा - अज्जे णाममेगे अज्जववहारे, अज्जे णाममेगे अणज्जववहारे, अणज्जे णाममेगे अज्जववहारे, अगज्जे नाममेगे अणज्जववहारे । Jain Education International ३४० आर्यः नामैकः अनार्यसंकल्पः, अनार्यः नामैक: आर्यसंकल्पः, अनार्यः नामैकः अनार्य संकल्पः । तद्यथा आर्यः नामैक: आर्यप्रज्ञः, आर्यः नामकः अनार्यप्रज्ञः, अनार्यः नामैकः आर्यप्रज्ञः, अनार्यः नामैकः अनार्यप्रज्ञः । तद्यथा— आर्यः नामैकः आर्यदृष्टिः, आर्यः नामैकः अनार्यदृष्टिः, अनार्यः नामैकः आर्यदृष्टिः, अनार्यः नामैकः अनार्यदृष्टिः । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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