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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र १९२-१८६ महिसीओ पण्णताओ, तं जहा- तद्यथा—पृथ्वी, रात्री, रजनी, हैं-१. पृथ्वी, २. रात्री, ३. रजनी, पुढवी, राती, रयणी, विज्जू। विद्युत् ।
४. विद्युत् । १८२. एवं—जाव वरुणस्स।
एवम्-यावत् वरुणस्य ।
१२. इसी प्रकार वरुण तक के भी चार-चार
अग्रमहिषियां होती हैं।
विगति-पदं विकृति-पदम्
विकृति-पद १८३. चत्तारि गोरसविगतीओ पण्णत्ताओ, चतस्रः गोरसविकृतयः प्रज्ञप्ताः, १८३. गोरसमय विकृतियां चार हैं-१. दूध, तं जहा.. तद्यथा
२. दही, ३. घृत, ४. नवनीत । खीरं, दहि, सप्पि, णवणीतं। क्षीरं, दधि, सपिः, नवनीतम्। १८४. चत्तारि सिणेहविगतीओ पण्णत्ताओ, चतस्रः स्नेहविकृतयः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- १८४. स्नेह (चिकनाई) मय विकृतियां चार तं जहाघतं, वसा, नवनीतम् ।
हैं-१. तैल, २. घृत, ३. वसा-चर्बी, तेल्लं, घयं, बसा, णवणीतं ।
४. नवनीत। १८५. चत्तारि महाविगतीओ पण्णत्ताओ, चतस्रः महाविकृतयः प्रज्ञप्ताः, तदयथा-१८५. महाबिकृतियां चार हैंतं जहा.मधु, मांस, मद्यं, नवनीतम् ।
१. मधु, २. मांस, ३. मद्य, ४, नवनीत । महुँ, मंसं, मज्जं, णवणीतं ।
गुत्त-अगुत्त-पदं १८६. चत्तारि कूडागारा यण्णत्ता, तं
गुत्ते णाम एगे गुत्ते, गुत्ते णाम एगे अगुत्ते, अगुत्ते णामं एगे गुत्ते, अगुत्ते णाम एगे अगुत्ते। एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पण्णता, तं जहागुत्ते णामं एगे गुत्ते, गुत्ते णाम एगे अगुत्ते, अगुत्ते णाम एगे गुत्ते, अगुत्ते णामं एगे अगुत्ते।
गुप्त-अगुप्त-पदम्
गुप्त-अगुप्त-पद चत्वारि कूटागाराणि प्रज्ञप्तानि, १८६. कूटागार [शिखर सहित घर] चार प्रकार तद्यथा
के होते हैं-१. कुछ कूटागार गुप्त होकर
गुप्त होते हैं-परकोटे से घिरे हुए होते हैं गुप्तं नामैकं गुप्त,
और उनके द्वार भी बन्द होते हैं, २. कुछ गुप्त नामैक अगुप्त,
कूटागार गुप्त होकर अगुप्त होते हैंअगुप्तं नामैक गुप्त,
परकोटे से घिरे हुए होते हैं, किन्तु उनके अगुप्तं नामकः अगुप्तम् ।
द्वार बन्द नहीं होते, ३. कुछ कूटागार
अगुप्त होकर गुप्त होते-परकोटे से घिरे एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
हुए नहीं होते, किन्तु उनके द्वार बन्द होते तद्यथा
हैं, ४. कुछ कूटागार अगुप्त होकर अगुप्त गुप्तः नामैकः गुप्तः,
होते हैं-न परकोटे से घिरे हुए होते हैं गुप्तः नामकः अगुप्तः,
और न उनके द्वार ही बन्द होते हैं। अगुप्तः नामकः गुप्तः,
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते
हैं-१. कुछ पुरुष गुप्त होकर गुप्त होते हैंअगुप्तः नामैकः अगुप्तः ।
वस्त्र पहने हुए होते हैं और उनकी इन्द्रियां भी गुप्त होती हैं, २. कुछ पुरुष गुप्त होकर अगुप्त होते हैं-वस्त्र पहने हुए होते हैं, किन्तु उनकी इन्द्रियां गुप्त नहीं होती, ३. कुछ पुरुष अगुप्त होकर गुप्त होते हैंवस्त्र पहने हुए नहीं होते, किन्तु उनकी
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