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ari (स्थान)
११४. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि
जहा - सम्माणेति णाममेगे, णो सम्माणावेति, सम्माणावेति णाममेगे, णो सम्माणेति, एगे सम्माणेति वि, सम्माणावेति वि, एगे णो सम्माणेति णो सम्माणावेति ।
जहा .----.
पूएइ णाममेगे, णो पूयावेति, पूयावेति णाममेगे, णो पूएइ, एगे पूएइ वि, पूयावेति वि, एगे जो पूएइ, णो पूयावेति ।
सज्झाय-पदं
११६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि जहा -
ares णाममेगे, णो वायावेइ, वायावेइ णाममेगे, णो वाएइ, एगे वाes वि, वायावेइ वि, एगे णो वाएइ, णो वायावेइ ।
जहा - पडिच्छति णाममेगे, णो पडिच्छा वेति, पडिच्छावेति णाममेगे, जो पच्छिति, एगे पडिच्छति वि, पच्छिावेति वि, एगे णो पडिच्छति, णो पडिच्छावेति ।
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पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ११४. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
तद्यथासम्मन्यते नामैकः, नो सम्मानयति, सम्मानयति नामैकः, नो सम्मन्यते, एकः सम्मन्यतेऽपि सम्मानयत्यपि, एक: नो सम्मन्यते, नो सम्मानयति ।
११५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ११५. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ पुरुष पूजा करते हैं, किन्तु करवाते नहीं, २. कुछ पुरुष पूजा करवाते हैं, किन्तु करते नहीं, ३. कुछ पुरुष पूजा करते भी हैं और करवाते भी हैं, ४. कुछ पुरुष न पूजा करते हैं और न करवाते हैं ।
जहा
पुच्छइ णाममेगे, णो पुच्छावेइ, पुच्छावेइ णाममेगे, णो पुच्छइ,
तद्यथा
पूजयते नामैकः, नो पूजापयते, पूजापयते नामैकः, नो पूजयते, एक: पूजयतेऽपि, पूजापयतेऽपि, एक: नो पूजयते, नो पूजापयते ।
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स्वाध्याय-पदम्
१. कुछ पुरुष दूसरों को पढ़ाते हैं, किन्तु दूसरों से पढ़ते नहीं, २. कुछ पुरुष दूसरों से पढ़ते हैं, किन्तु दूसरों को पढ़ाते नहीं, ३. कुछ पुरुष दूसरों को पढ़ाते भी हैं और दूसरों से पढ़ते भी हैं, ४. कुछ पुरुष न दूसरों से पढ़ते हैं और न दूसरों को पढ़ाते हैं ।
११७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ११७ पुरुष चार प्रकार के होते हैं—
स्थान ४ : सूत्र ११४-११८
तद्यथा--- वाचयति नामकः, नो वाचयते, वाचयते नामैकः, नो वाचयति, एकः वाचयत्यपि वाचयतेऽपि, एक: नो वाचयति, नो वाचयते ।
स्वाध्याय-पद
पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ११६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं—
तद्यथा-
प्रतीच्छति नामकः, नो प्रत्येषयति, प्रत्येषयति नामकः, नो प्रतीच्छति, एकः प्रतीच्छत्यपि, प्रत्येषयत्यपि, एकः नो प्रतीच्छति, नो प्रत्येषयति ।
१. कुछ पुरुष सम्मान करते हैं, किन्तु करवाते नहीं, २. कुछ पुरुष सम्मान करवाते हैं, किन्तु करते नहीं, ३. कुछ पुरुष सम्मान करते भी हैं और करवाते
भी हैं, ४. कुछ पुरुष न सम्मान करते हैं। और न करवाते हैं ।
तद्यथा—
पृच्छति नामैकः, नो प्रच्छयति प्रच्छयति नामैकः, नो पृच्छति,
११८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि ११८. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ पुरुष प्रश्न करते हैं, किन्तु करवाते नहीं, २. कुछ पुरुष प्रश्न करवाते हैं, किन्तु करते नहीं, ३. कुछ पुरुष प्रश्न करते भी
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१. कुछ पुरुष प्रतीच्छा ( उप सम्पदा) करते हैं, किन्तु करवाते नहीं, २. कुछ पुरुष प्रतीच्छा करवाते हैं, किन्तु करते नहीं, ३. कुछ पुरुष प्रतीच्छा करते भी हैं। और करवाते भी हैं, ४. कुछ पुरुष न प्रतीच्छा करते हैं और न करवाते हैं।
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