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ठाणं (स्थान)
एवामेव चत्तारि भिक्खागा पण्णत्ता, एवमेव चत्वारः भिक्षाका : प्रज्ञप्ताः,
तद्यथा—
तं जहातक्खायसमाणे, 'छल्लिक्खायसमाणे,
खासमा,
सारक्खायसमाणे ।
णं
१. तयक्खायसमाणस्स भिक्खागस्स सारखायसमाणे तवे पण्णत्ते ।
२. सारक्खायसमाणस्स
णं
भिक्arita arraायसमाणे तवे पण्णत्ते ।
३. छल्लिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कटुक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते ।
४. कटुक्खायसमाणस्स णं भिक्खा
गस्स छल्लिक्खायसमाणे तवे
पण्णत्ते ।
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अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया, खंबीया ।
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त्वक्खादसमानः, छल्लीखादसमानः, काष्ठखादसमानः, सारखादसमानः । १. त्वक्खादसमानस्य भिक्षाकस्य सारखादसमानं तपः प्रज्ञप्तम् । २. सारखादसमानस्य भिक्षाकस्य त्वक्खादसमानं तपः प्रज्ञप्तम् । ३. छल्ली खादसमानस्य भिक्षाकस्य काष्ठखादसमा नं तपः प्रज्ञप्तम् । ४. काष्ठखादसमानस्य भिक्षाकस्य छल्लीखादसमानं तपः प्रज्ञप्तम् ।
तणवणस्सइ-पदं
तृणवनस्पति-पदम्
तृणवनस्पति-पद
५७. चउव्विहा तणवणस्स तिकाइया चतुर्विधाः तृणवनस्पतिकायिकाः प्रज्ञप्ताः, ५७. तृण वनस्पति कायिक चार प्रकार के
पण्णत्ता, तं जहा
होते हैं - १. अग्रबीज - कोरण्ट आदि । इनके अग्रभाग ही बीज होते हैं अथवा ब्रीहि आदि इनके अग्रभाग में बीज होते हैं, २. मूल बीज - उत्पल, कंद आदि। इनके मूल ही बीज होते हैं, ३. पर्वबीज - इक्षु आदि । इनके पर्व ही बीज होते हैं,
तद्यथाअग्रबीजा:, मुलबीजा:, पर्वबीजा:, स्कन्धबीजाः ।
स्थान ४ : सूत्र ५७
खाने वाले, ३. काठ को खाने वाले, ४. सार - [ काठ के मध्य भाग ] को खाने वाले 1
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इसी प्रकार भिक्षु भी चार प्रकार के होते
हैं - १. कुछ भिक्षु त्वचा को खाने वाले घुण के समान प्राप्त आहार करने वाले होते हैं, २. कुछ भिक्षु छाल को खाने वाले घुण के समान - रूक्ष आहार करने वाले होते हैं, ३. कुछ भिक्षु काठ को खाने वाले घुण के समान - दूध, दही आदि विगयों को आहार न करने वाले होते हैं, ४. कुछ भिक्षु सार को खाने वाले घुण के समानविगयों से परिपूर्ण आहार करने वाले होते हैं।
१. जो भिक्षु त्वचा को खाने वाले घुण के समान होते हैं, उनके सार को खाने वाले घुण के समान तप होता है, २. जो भिक्षु सार को खाने वाले घुण के समान होते हैं, उनके त्वचा को खाने वाले घुण के समान तप होता है, ३. जो भिक्षु छाल को खाने वाले घुण के समान होते हैं, उनके काठ को खाने वाले घुण के समान तप होता है, ४. जो भिक्षु काठ को खाने वाले घुण के समान होते हैं, उनके छाल को खाने वाले घु के समान तप होता है। "
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