________________
ठाणं (स्थान)
२६६
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथा—
शुद्धो नामैकः शुद्धपरिणतः, शुद्धो नामकः अशुद्धपरिणतः, अशुद्धो नामकः शुद्धपरिणतः, अशुद्धो नामकः अशुद्धपरिणतः । चत्वारि वस्त्राणि प्रज्ञप्तानि तद्यथा— शुद्धं नामैकं शुद्धरूपं, शुद्धं नामैकं अशुद्धरूपं, अशुद्धं नामैकं शुद्धरूपं, अशुद्धं नामैकं अशुद्धरूपं । एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि,
तद्यथा-
स्थान ४ : सूत्र २६-२८
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं - १. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्धपरिणत होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध-परिणत होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध-परिणत होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध-परिणत होते हैं। २६. वस्त्र चार प्रकार के होते हैं
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध और शुद्धरूप वाले होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध-रूप वाले होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध, किन्तु शुद्धरूप वाले होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूप वाले होते हैं । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं - १. कुछ पुरुष प्रकृति से शुद्ध और शुद्ध रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष प्रकृति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध-रूप वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष प्रकृति से अशुद्ध, किन्तु शुद्धरूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध रूप वाले होते हैं ।
२७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २७. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
सुद्धे णामं एगे सुद्धपरिणए,
सुद्धे णामं एगे असुद्ध परिणए, असुद्धे णामं एगे सुद्धपरिणए, असुद्धे णामं एगे असुद्ध परिणए । २६. चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहासुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, सुद्धे णामं एगे असुद्धरूवे, असुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, अद्धे णामं एगे असुद्धरूवे । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया, पण्णत्ता, तं जहासुद्धे णामं एगे सुद्धरूबे, सुद्धे णामं एगे असुद्धरूवे, असुद्धे णामं एगे सुद्धरूवे, अशुद्धे णामं एगे असुद्ध ।
जहा -
सुद्धे णामं एगे सुद्धमणे, • सुद्धे णामं एगे असुद्ध मणे,
असुद्धे णामं एगे सुद्धमणे, असुद्धे णामं एगे अद्धमणे ।
सुद्धे णामं एगे असुद्ध कप्पे, अद्धे णामं एगे सुद्ध कप्पे, असुद्धे णामं एगे असुद्ध कप्पे,
शुद्धो नामैकः शुद्धरूपः, शुद्धो नामैकः अशुद्धरूपः, अशुद्धो नामैकः शुद्धरूपः, अशुद्धो नामैकः अशुद्धरूपः ।
२८. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि
जहा
तद्यथा—
सुद्धे णामं एगे सुद्धसंकप्पे,
शुद्धो नामैकः शुद्धसंकल्पः, शुद्धो नामैकः अशुद्धसंकल्पः, अशुद्धो नामैकः शुद्धसंकल्पः, अशुद्धो नामैकः अशुद्धसंकल्पः ।
Jain Education International
तद्यथा
शुद्धो नामैकः शुद्धमनाः, शुद्धो नामैकः अशुद्धमनाः,
अशुद्धो नामैकः शुद्धमनाः, अशुद्धो नामैकः अशुद्धमनाः ।
१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्ध-मन वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध-मन वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध-मन वाले होते हैं, ४ कुछ पुरुष जति से अशुद्ध और अशुद्ध-मन वाले होते हैं ।
पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २८. पुरुष चार प्रकार के होते हैं
For Private & Personal Use Only
१. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध और शुद्धसंकल्प वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति शुद्ध, किन्तु अशुद्ध-संकल्प वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु शुद्धसंकल्प वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध और अशुद्ध संकल्प वाले होते हैं।
www.jainelibrary.org