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ठाणं (स्थान)
अणुण्णवणी, पुटुस्स वागरणी ।
२३. चत्तारि भासाजाता पण्णत्ता, तं जहासच्चमेगं भासज्जायं, बीयं मोसं, तइयं सच्चमोसं, चउत्थं असच्चमोसं ।
सुद्धे णामं एगे सुद्धे,
• सुद्धे णामं एगे असुद्धे,
अद्धेा गेसुद्धे, अद्धे णामं एगे असुद्धे ।
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२५. चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा सुद्ध णामं एगे सुद्धपरिणए, सुद्धे णामं एगे असुद्धपरिणए, असुद्धे नाम एगे सुद्धपरिणए, असुद्धे णामं एगे असुद्ध परिणए ।
पृष्टस्य व्याकरणी ।
सुद्ध असुद्ध पर्द
शुद्ध-अशुद्ध-पदम्
शुद्ध-अशुद्ध-पद
२४. चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा चत्वारि वस्त्राणि प्रज्ञप्तानि तद्यथा— २४. वस्त्र चार प्रकार के होते हैं
सुद्धे णामं एगे सुद्धे,
सुद्धे मंगे अद्धे,
असुद्ध णामं एगे सुद्धे,
अणाम एगे असुद्धे ।
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से भी शुद्ध होते हैं और स्थिति से भी शुद्ध होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध, किन्तु स्थिति से अशुद्ध होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध, किन्तु स्थिति से शुद्ध होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से भी अशुद्ध होते हैं और स्थिति से भी अशुद्ध होते हैं ।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं - १. कुछ पुरुष जाति से भी शुद्ध होते हैं और गुण से भी शुद्ध होते हैं, २. कुछ पुरुष जाति से शुद्ध, किन्तु गुण से अशुद्ध होते हैं, ३. कुछ पुरुष जाति से अशुद्ध, किन्तु गुण से शुद्ध होते हैं, ४. कुछ पुरुष जाति से भी अशुद्ध होते हैं और गुण से अशुद्ध होते हैं।"
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चत्वारि भाषाजातानि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - सत्यमेकं भाषाजातं, द्वितीयं मृषा, तृतीयं सत्यमृषा, चतुर्थ असत्यामृषा ।
एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि
पण्णत्ता, तं जहा
तद्यथा— शुद्धो नामकः
शुद्धः,
शुद्धो नामैकः अशुद्धः, अशुद्धो नामेकः शुद्धः, अशुद्धो नामैकः अशुद्धः ।
शुद्ध नामैकं शुद्धं,
शुद्धं नामैकं अशुद्धं,
अशुद्धं नामैकं शुद्धं, अशुद्धं नामैकं अशुद्धं ।
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स्थान ४ : सूत्र २३-२५
सम्बन्ध रखने वाली भाषा, २. प्रच्छनीमार्ग आदि तथा सूत्रार्थ के प्रश्न से सम्बन्धित भाषा, ३. अनुज्ञापनी - स्थान आदि की आज्ञा लेने से सम्बन्धित भाषा, ४. पृष्ट व्याकरणी - पूछे हुए प्रश्नों का प्रतिपादन करने वाली भाषा । २३. भाषा के चार प्रकार हैं
१. सत्य ( यथार्थ), २. मृषा (अयथार्थ),
३. सत्य - मृषा (सत्य-असत्य का मिश्रण ),
४. असत्य-अमृषा (व्यवहार भाषा) ।"
चत्वारि वस्त्राणि प्रज्ञप्तानि तद्यथा - २५. वस्त्र चार प्रकार के होते हैं—
शुद्धं नामैकं शुद्धपरिणतं, शुद्धं नामैकं अशुद्धपरिणतं, अशुद्धं नामैकं शुद्धपरिणतं, अशुद्धं नामैकं अशुद्धपरिणतं ।
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१. कुछ वस्त प्रकृति से शुद्ध और शुद्धपरिणत होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुद्ध, किन्तु अशुद्ध- परिणत होते हैं, ३. कुछ
प्रकृति से अशुद्ध, किन्तु शुद्ध - परिणत होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुद्ध और अशुद्ध-परिणत होते हैं ।
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