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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र १४-१७ १४. चत्तारि रुक्खा पण्णता, तं जहा- चत्वारः रुक्षाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- १४. वृक्ष चार प्रकार के होते हैंउज्जू णाममेरो उज्जुरूवे, ऋजु: नामैकः ऋजुरूपः,
१. कुछ वृक्ष शरीर से ऋजु और ऋजुउज्जू णाममेगे वंकावे, ऋजुः नामैक: वक्ररूपः,
रूप वाले होते हैं, २. कुछ वृक्ष शरीर से वंके णाममेगे उज्जुरुवे, वक्रो नामैक: ऋजुरूपः,
ऋजु, किन्तु वक्र-रूप वाले होते हैं, वंके णाममेगे वंकरूवे। वको नामैक: वक्ररूपः ।
३. कुछ वृक्ष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजुरूप वाले होते हैं, ४. कुछ वृक्ष शरीर से
वक्र और वक्र-रूप वाले होते हैं।। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के होते हैंपण्णत्ता, तं जहातद्यथा
१. कुछ पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजुउज्जू णाममेगे उज्जुरूवे, ऋजुः नामैक: ऋजुरूपः,
रूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर से उज्जू णाममेगे वंकरूवे, ऋजुः नामैक: वक्ररूपः,
ऋजु, किन्तु वक्र-रूप वाले होते हैं, वंके णाममेगे उज्जुरूवे, वक्रो नामैकः ऋजुरूपः,
३. कुछ पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजुवंके णाममेगे वंकरूवे। वक्रो नामैकः वक्ररूपः।
रूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से
वक्र और वक्र-रूप वाले होते हैं। १५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, १५. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातयथा
१. कुछ पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजुउज्जू णाममेगे उज्जुमणे, ऋजुः नामैकः ऋजुमनाः,
मन वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर से उज्जू णाममेगे वंकमणे, ऋजुः नामैकः वक्रमनाः,
ऋजु, किन्तु वक्र-मन वाले होते हैं, वंके णाममेगे उज्जुमणे, वक्रो नामैकः ऋजुमनाः,
३. कुछ पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजुवंके णाममेगे वंकमणे। वक्रो नामैकः वक्रमनाः।
मन वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से
वक्र और वक्र-मन वाले होते हैं। १६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, १६. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा--
१. कुछ पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजुउज्जू णाममेगे उज्जुसंकप्पे, ऋजुः नामैकः ऋजुसंकल्पः,
संकल्प वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर उज्जू णाममेगे वंकसंकप्पे, ऋजुः नामैकः वक्रसंकल्पः,
से ऋजु, किन्तु वक्र-संकल्प वाले होते हैं, वंके णाममेगे उज्जुसंकप्पे, वक्रो नामकः ऋजुसंकल्पः,
३. कुछ पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजुवंके णाममेगे वंकसंकप्पे। वक्रो नामैकः वसंकल्पः।
संकल्प वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर
से वक्र और वक्र-संकल्प वाले होते हैं। १७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, १७. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु
प्रज्ञा वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष शरीर से उज्जू णाममेगे उज्जपण्णे, ऋजुः नामैकः ऋजुप्रज्ञः,
ऋजु, किन्तु वक्र-प्रज्ञा वाले होते हैं, ३. कुछ उज्जू णाममेगे वंकपण्णे, ऋजुः नामैकः वक्रप्रज्ञः,
पुरुष शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु-प्रज्ञा वाले बंके णाममेगे उज्जपण्णे, वक्रो नामैक: ऋजुप्रज्ञः,
होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से वक्र और वंके णाममेगे वंकपण्णे । वक्रो नामैक: वक्रप्रज्ञः ।
वक्र-प्रज्ञा वाले होते हैं।
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