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________________ ठाणं (स्थान) २६३ स्थान ४ : सूत्र ५-७ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, । इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा हैं-१. कुछ पुरुष शरीर से उन्नत और उण्णते णाममेगे उण्णतरूवे, उन्नतो नामैक: उन्नतरूपः, उन्नतरूप वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष 'उण्णते णाममेगे पणतरूवे, उन्नतो नामैकः प्रणतरूपः, शरीर से उन्नत, किन्तु प्रणतरूप वाले पण्णते णाममेगे उण्णतरूवे, प्रणतो नामैक: उन्नतरूपः, होते हैं, ३. कुछ पुरुष शरीर से प्रणत, पणते णाममेगे पणतरूवे। प्रणतो नामैक: प्रणतरूपः । किन्तु उन्नतरूप वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से प्रणत और प्रणतरूप वाले होते हैं। ५. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ५. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उण्णते णाममेगे उण्णतमणे, उन्नतो नामैकः उन्नतमनाः, उन्नतमन वाले होते हैं-उदार होते हैं। उण्णते णाममेगे पणतमणे, उन्नतो नामैकः प्रणतमनाः, २. कुछ पुरुष ऐश्वयं से उन्नत, किन्तु प्रणतपणते णाममेगे उण्णतमणे, प्रणतो नामैकः उन्नतमनाः, मन वाले होते हैं--अनुदार होते हैं। पणते णाममेगे पणतमणे। प्रणतो नामैकः प्रणतमनाः । ३. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नतमन वाले होते हैं-उदार होते हैं। ४. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत मन वाले होते हैं-अनुदार होते हैं। ६. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ६. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नतउण्णते णाममेगे उण्णतसंकप्पे, उन्नतो नामैकः उन्नतसंकल्पः, संकल्प वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष ऐश्वर्य उण्णते णाममेगे पणतसंकप्पे, उन्नतो नामैकः प्रणतसंकल्पः, से उन्नत, किन्तु प्रणतसंकल्प वाले होते हैं, पणते णाममेगे उण्णतसंकप्पे, प्रणतो नामैक: उन्नतसंकल्प:, ३. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु पणते णाममेगे पणतसंकप्पे। प्रणतो नामकः प्रणतसंकल्पः । उन्नतसंकल्प वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत संकल्प वाले होते हैं । ७. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ७. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नतउष्णते णाममेगे उण्णतपण्णे, उन्नतो नामैक: उन्नतप्रज्ञः, प्रज्ञा वाले होते हैं, उण्णते णाममेगे पणतपण्णे, उन्नतो नामैक: प्रणतप्रज्ञः, २. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु पणते णाममेगे उग्णतपण्णे, प्रणतो नामकः उन्नतप्रज्ञः, प्रणतप्रज्ञा वाले होते हैं, पणते णाममेगे पणतपणे। प्रणतो नामैक: प्रणतप्रज्ञः । ३. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से प्रगत, किन्तु उन्नतप्रज्ञा वाले होते हैं, ४. कुछ पुरुष ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणतप्रज्ञा वाले होते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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