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________________ ( २८ ) ४७२. पाराञ्चित (दसवें) प्रायश्चित्त के अधिकारी ५३०. अर्हत् धर्म और अर्हत शांति का अन्तराल काल ४७३. अनवस्थाप्य (नौवें) प्रायश्चित्त के अधिकारी ५३१. निर्वाण-गमन कब तक? ४७४-४७५. प्रव्रज्या आदि के लिए अयोग्य ५३२-५३३. अर्हत् मल्ली और अहंत पापर्व के साथ मुंडित ४७६. अध्यापन के लिए अयोग्य होने वालों की संख्या ४७७. अध्यापन के लिए योग्य ५३४. श्रमण महाबीर के चौदहपूर्वी की संपदा ४७८.४७६. दुर्बोध्य-सुबोध्य का निर्देश ५३५. चक्रवर्ती सीर्थकर ४८०. मांडलिक पर्वत ५३६-५३६. ग्रेवेयक विमानों के प्रस्तट ४८१. अपनी-अपनी कोटि में सबसे बड़े कौन ? ५४०. पापकर्म रूप में निर्वतित पुद्गल ४८२. कल्पस्थिति (आचार मर्यादा) के प्रकार ५४१-५४२. पुद्गल-पद ४८३. नरयिकों के शरीर ४८४-४८५. देवों के शरीर चौथा स्थान ४८६-४८७. स्थावर तथा विकलेन्द्रिय जीवों के शरीर १. अन्तक्रिया के प्रकार, स्वरूप और उदाहरण ४८८-४६३. विभिन्न अपेक्षाओं से प्रत्यनीक का वर्गीकरण २-११. वृक्ष के उदाहरण से मनुष्य की विविध अव४६४.४६५. माता-पिता से प्राप्त अंग स्थाओं का निरूपण ४६६. श्रमण के मनोरथ १२-२१. ऋजु और वक्रता के आधार पर मनुष्य की ४६७. श्रावक के मनोरथ विविध अवस्थाएं ४६८. पुद्गल-प्रतिघात के हेतु २२. प्रतिमाधारी मुनियों की भाषा ४६६. चक्षुष्मान् के प्रकार २३. भाषा के प्रकार ५००. ऊर्ध्व, अधः और तिर्यक्लोक को कब और कैसे २४-३३. शुद्ध-अशुद्ध वस्त्र के उदाहरण से मनुष्य की जाना जा सकता है? विविध अवस्थाओं का निरूपण ५०१. ऋद्धि के प्रकार ३४. पुत्रों के प्रकार ५०२. देवताओं की ऋद्धि ३५-४४. मनुष्य की सत्य-असत्य के आधार पर विविध ५०३. राजाओं की ऋद्धि __अवस्थाएं ५०४. गणी की ऋद्धि ४५-५४. शुचि-अशुचि वस्त्र के उदाहरण से पुरुष की मन:५०५. गौरव स्थिति का प्रतिपादन ५०६. अनुष्ठान के प्रकार ५५. कली के प्रकारों के आधार पर मनुष्य का ५०७. स्वाख्यात धर्म का स्वरूप निरूपण ५०८. निवृत्ति के प्रकार ५६. घुणों के प्रकारों के आधार पर याचकों तथा ५०६. विषयासक्ति के प्रकार उनकी तपस्या का निरूपण ५१०. विषय-सेवन के प्रकार ५७. तृणवनस्पति के प्रकार ५११. निर्णय के प्रकार ५८. अधुनोपपन्न नरयिक का मनुष्य लोक में न आ ५१२. जिन के प्रकार सकने के कारण ५१३. केवली के प्रकार ५६. साध्वियों की संघाटी के प्रकार ५१४. अर्हन्त के प्रकार ६०. ध्यान के प्रकार ५१५-५१८. लेश्या-वर्णन ६१-६२. आर्तध्यान के प्रकार और लक्षण ५१६-५२२. मरण के भेद-प्रभेद ६३-६४. रौद्रध्यान के प्रकार और लक्षण ५२३. अश्रद्धावान् निर्ग्रन्थ की अप्रशस्तता के हेतु ६५-६८. धर्म्यध्यान के प्रकार, लक्षण, आलंबन आदि ५२४. श्रद्धावान् निर्ग्रन्थ की प्रशस्तता के हेतु ६६-७२. शुक्लध्यान के प्रकार, लक्षण आदि ५२५. पृथ्वियों के वलय ७३. देवताओं की पद-व्यवस्था ५२६. विग्रहगति का काल-प्रमाण ७४. संवास के प्रकार ५२७. क्षीणमोह अर्हन्त ७५. कषाय के प्रकार ५२८-५२६. नक्षत्रों के तारा ७६-८३. क्रोध आदि कषायों की उत्पत्ति के हेतु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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