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________________ ठाणं (स्थान) २४४ स्थान ३ : सूत्र ४६२-४६४ ४६२. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य ४६२. जम्बुद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के पश्चिम पच्चत्थिमे णं सीतोदाए महा- पाश्चात्ये शीतोदायाः महानद्यः उत्तरे में सीतोदा महानदी के दक्षिण भाग में णदीए उत्तरेणं तओ अंतरणदीओ तिस्रः अन्तरनद्यः प्रज्ञप्ताः, तदयथा- तीन अन्तर्नदियां प्रवाहित होती हैंपणत्ताओ, तं जहाउमिमालिनी, फेनमालिनी, १. मिमालिनी, २. फेनमालिनी, उम्मिमालिणी, फेणमालिणी, गम्भीरमालिनी । ३. गम्भीरमालिनी। गंभीरमालिणी। धायइसंड-पुक्खरवर-पदं धातकीषण्ड-पुष्करवर-पदम् धातकीषण्ड-पुष्करवर-पद ४६३. एवं...धायइसंडे दीवे पुरथिमद्धेवि एवम् धातकीषण्डे द्वीपे पौरस्त्यार्धेऽपि ४६३. इसी प्रकार-धातकीषण्ड तथा अर्ध अकम्मभूमीओ आढवेत्ता जाव अकर्मभूमीः आदृत्य यावत् अन्तर्गद्य- पुष्करवर द्वीप के पूर्वाधं और पश्चिमार्ध अंतरणदीओत्ति गिरवसेसं इति निरवशेष भणितव्यम् यावत् में तीन अकर्मभूमि आदि [३।४४६-४६२ भाणियव्वं जाव पुक्खरवरदीवड्ड- पुष्करवरद्वीपार्धपाश्चात्याधं तथैव सूत्र तक] शेष सभी विषय वक्तव्य हैं। पच्चत्थिमद्धे तहेव गिरवसेसं निरवशेषं भणितव्यम् । भाणियव्वं । भूकंप-पदं भूकम्प-पदम् भूकम्प-पद ४६४. तिहि ठाणेह देसे पुढवीए चलेज्जा, त्रिभिः स्थानः देशः पृथिव्याः चलेत्, ४६४. तीन कारणों से पृथ्वी का देश [एक भाग] तं जहातद्यथा चलित [कम्पित] होता है१. अहे णं इमीसे रयणप्पभाए १. अधः अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः १. इस रत्नप्रभा नाम की पृथ्वी के निचले पुडवीए उराला पोग्गला उदाराःपुद्गलाः नियतेयुः। ततः उदारा: भाग में स्वभाव-परिणत स्थूल पुद्गल णिवतेज्जा। तते णं उराला पुद्गलाः निपतन्तः देशं पृथिव्याः आकर टकराते हैं। उनके टकराने से पृथ्वी पोग्गला णिवतमाणा देसं पुढवीए चालयेयुः, का देश चलित हो जाता है। चालेज्जा, २. महोरगे वा महिड्डीए जाव २. महोरगो वा महधिको यावत् २. महर्धिक, महाद्युति, महाबल तथा महेसक्खे इमीसे रयणप्पभाए महेशाख्यः अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः महानुभाग महेश नाम के महोरगपुढवीए अहे उम्मज्ज-णिमज्जियं अधः उन्मग्न-निमग्निकां कुर्वत् देशं । व्यंतर देव रत्नप्रभा पृथ्वी के नीचे करेमाणे देसं पुढवीए चालेज्जा, पृथिव्याः चालयेत्, उन्मज्जन निमज्जन करता हुआ पृथ्वी के देश को चलित कर देता है। ३. णागसुवणाण वा संगामंसि ३. नागसुपर्णाणां वा संग्रामे वर्तमाने ३. नाग और सुपर्ण [भवनवासी] देवों वट्टमाणंसि देसं [देसे ? ] पुढबीए देशः पृथिव्याः चलेत् के बीच संग्राम हो जाने से पृथ्वी का देश चलेज्जा चलित हो जाता हैइच्चेतेहि तिहि ठाणेहिं देसे इति एतैः त्रिभिः स्थानः देशः पृथिव्याः इन तीन कारणों से पृथ्वी का देश चलित पुढवीए चलेज्जा। चलेत् । होता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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