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________________ २४३ स्थान ३: सूत्र ४५६-४६१ ठाणं (स्थान) ४५६. एवं—उत्तरे णवि, णवरं केसरिदहे, महापोंडरीयदहे, पोंडरीयदहे। देवताओ-कित्ती, बुद्धी, लच्छी। एवम-उत्तरे अपि, नवरं-केशरीद्रहः, ४५६. इसी प्रकार-जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर. महापुण्डरीकद्रहः, पुण्डरीकद्रहः । पर्वत के उत्तर में तीन द्रह हैंदेवता—कीत्तिः, बुद्धिः, लक्ष्मीः । १. केशरी द्रह, २. महापुण्डरीक द्रह, ३. पुण्डरीक द्रह। यहां तीन देवियां हैं१. कीति, २. बुद्धि, ३. लक्ष्मी। महाणदो-पदं महानदी-पदम् महानदी-पद ४५७. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य दक्षिणे ४५७. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के दक्षिण दाहिणे णं चुल्ल हिमवंताओ क्षुल्लहिमवतःवर्षधरपर्वतात् पद्मद्रहात् में क्षुल्ल हिमवान् वर्षधर पर्वत से पद्मद्रह वासधरपक्वताओ पउमदहाओ महाद्रहात् तिस्रः महानद्यः प्रवहन्ति, नाम के महाद्रह से तीन महानदियां प्रवामहादहाओ तओ महाणदीओ तद्यथा-गङ्गा, सिन्धः, रोहितांशा। हित होती हैं-- पवहंति, तं जहा १. गंगा, २. सिंधु ३. रोहितांशा। गंगा, सिंधू, रोहितंसा। ४५८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य उत्तरे ४५८. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के उत्तर में उत्तरेणं सिहरीओ वासहरपव्वताओ शिखरिणःवर्षधरपर्वतात् पुण्डरीकद्रहात् शिखरी वर्षधर पर्वत के पुण्डरीक महाद्रह पोंडरीयद्दहाओ महादहाओ तओ महाद्रहात् तिस्रः महानद्यः प्रवहन्ति, से तीन महानदियां प्रवाहित होती हैंमहाणदीओ पवहंति, तं जहा- तद्यथा-सुवर्णकूला, रक्ता, रक्तवती। १. सुवर्णकूला, २. रक्ता, ३. रक्तवती। सुवण्णकूला, रत्ता, रत्तवत्ती। ४५६. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये ४५६. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के पश्चिम पुरथिमे णं सीताए महाणदीए शीतायाः महानद्याः उत्तरे तिस्रः में सीता महानदी के उत्तर भाग में तीन उत्तरे णं तओ अंतरणदीओ अन्तरनद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा अन्तर्नदियां प्रवाहित होती हैंपण्णत्ताओ, तं जहा- ग्राहवती, द्रहवती, पंकवती। १. ग्राहावती, २. द्रहवती, ३. पंकवती। गाहावती, दहवती, पंकवती। ४६०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य पौरस्त्ये ४६०. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के पूर्व में पुरस्थिमे णं सीताए महाणदीए शीतायाः महानद्याः दक्षिणे तिस्रः सीता महानदी के दक्षिण भाग में तीन दाहिणे णं तओ अंतरणदीओ अन्तर्नद्यः प्रज्ञप्ताः तद्यथा अन्तर्नदियां प्रवाहित होती हैंपण्णत्ताओ, तं जहा तप्तजला, मत्तजला, उन्मत्तजला। १. तप्तजला, २. मत्तजला, तत्तजला, मत्तजला, उम्मत्तजला। ३. उन्मत्तजला। ४६१. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स जम्बूद्वीपे द्वीपे मन्दरस्य पर्वतस्य ४६१. जम्बूद्वीप द्वीप के मन्दर-पर्वत के पश्चिम पच्चस्थिमे णं सीतोदाए महाणईए पाश्चात्ये शीतोदायाः महानद्याः दक्षिणे में सीतोदा महानदी के उत्तर भाग में तीन दाहिणे णं तओ अंतरणदीओ तिस्रः अन्तरनद्यः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा- अन्तर्नदियां प्रवाहित होती हैंपण्णत्ताओ, तं जहा. क्षीरोदा, सिंहस्रोताः, अन्तर्वाहिनी। १. क्षीरोदा, २. सिंहस्रोता, खीरोदा, सीहसोता, अंतोवाहिणी। ३. अन्तर्वाहिनी। For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
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