SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 251
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ठाणं (स्थान) २१० स्थान ३ : सूत्र ३००-३०३ गंधं अग्धाइस्सामीतेगे दुम्मणे गन्धं घ्रास्यामीत्येक: नोसुमनाः- इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क भवति, नोदुर्मनाः भवति । होते हैं। गंध अग्घाइस्सामीतेगे जोसुमणे णोदुम्मणे भवति। ३००. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३००. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष गंध नहीं लेने पर सुमनस्क गंधं अणग्घाइत्ता णामेगे सुमणे गन्धं अघ्रात्वा नामकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष गंध नहीं लेने पर भवति, गन्धं अघ्रात्वा नामकः दर्मनाः भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष गंध नहीं गंधं अणग्घाइत्ता णामेगे दुम्मणे गन्धं अघ्रात्वा नामकः नोसुमना:- लेने पर न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क भवति, नोदुर्मनाः भवति । होते हैं। गंध अणग्याइत्ता णामेगे णोसुमणे णोदुम्मणे भवति। ३०१. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३०१. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातद्यथा १. कुछ पुरुष गंध नहीं लेता हूं इसलिए गंधं ण अग्धामीतेगे सुमणे भवति, गन्धं न जिघ्रामीत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष गंध नहीं गंधं ण अग्धामीतेगे दुम्मणे भवति, गन्धं न जिघ्रामीत्येक: दुर्मनाः भवति, लेता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ गंधं ण अग्धामीतेगे जोसुमणे- गन्धं न जिघ्रामीत्येकः नोसुमना:- पुरुष गंध नहीं लेता हूं इसलिए न सुमनस्क णोदुम्मणे भवति। नोदुर्मनाः भवति । होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। ३०२. तओपुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा- त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३०२. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंगंधं ण अग्याइस्सामीतेगे सुमणे तद्यथा १. कुछ पुरुष गंध नहीं लेऊंगा इसलिए भवति, गन्धं न घ्रास्यामीत्येकः सुमनाः भवति, सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष गंध नहीं गंधं ण अग्घाइस्सामीतेगे दुम्मणे गन्धं न घ्रास्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, लेऊंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ भवति, ___ गन्धं न घ्रास्यामीत्येकः नोसुमनाः- पुरुष गंध नहीं लेऊंगा इसलिए न सुमनस्क गंधं ण अग्घाइस्सामीतेगे णोसुमणे- नोदुर्मना: भवति । होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं। णोदुम्मणे भवति । आसाइत्ता-अणासाइत्ता-पदं आस्वाद्य-अनास्वाद्य-पदम् आस्वाद्य-अनास्वाद्य-पद ३०३. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ३०३. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंजहातयथा १. कुछ पुरुष रस चखने के बाद सुमनस्क रसं आसाइत्ताणामेगे सुमणे भवति, रसं आस्वाद्य नामकः सुमनाः भवति, होते हैं, २. कुछ पुरुष रस चखने के बाद रसं आसाइत्ता णामेगे दुम्मणे रसं आस्वाद्य नामकः दुर्मनाः भवति, दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष रस चखने भवति, रसं आस्वाद्य नामैक: नोसुमना:- के बाद न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क रसं आसाइत्ता णामेगे जोसुमणे- नोदुर्मनाः भवति । होते हैं। णोदुम्मणे भवति। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003598
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Thanam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages1094
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy