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ri (स्थान)
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स्थान ३ : सूत्र २६५-२६६
२६५. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २६५. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं
१. कुछ पुरुष रूप नहीं देखता हूं इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष रूप नहीं देखता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष रूप नहीं देखता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं।
जहा—
रूवं ण पासामीतेगे सुमणे भवति, रूवं ण पासामीतेगे दुम्मणे भवति, रूवं ण पासामीतेगे जोसुमणेदुम्मणे भवति ।
२६६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि तद्यथा—
जहा -
रूवं ण पासिस्सामीतेगे सुमणे रूपं न द्रक्ष्यामीत्येकः सुमनाः भवति, भवति, रूपं न द्रक्ष्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, रूवं ण पासिस्सामीतेगे दुम्मणे रूपं न द्रक्ष्यामीत्येकः नोसुमनाःभवति, दुर्मनाः भवति ।
रूवं ण पासिस्सामीतेगे णोसुमणेणोदुम्मणे भवति ।
तद्यथा
रूपं न पश्यामीत्येकः सुमनाः भवति, रूपं न पश्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति, रूपं न पश्यामीत्येकः नोसुमनाःनोदुर्मनाः भवति ।
प्रज्ञप्तानि, २६६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं—
अग्घाइत्ता - अणग्घाइत्ता-पदं २७. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं
जहा
गंध अग्घाइत्ता णामेगे सुमणे गन्धं घ्रात्वा नामैकः सुमनाः भवति, भवति, गन्धं घ्रात्वा नामकः दुर्मनाः भवति, गंध अग्घाइत्ता णामेगे दुम्मणे गन्धं घ्रात्वा नामैक: नोसुमनाःभवति, नोदुर्मनाः भवति ।
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१. कुछ पुरुष रूप नहीं देखूंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष रूप नहीं देखूंगा इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष रूप नहीं देखूंगा इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं ।
घ्रात्वा-अघ्रात्वा-पदम्
घ्रात्वा - अघ्रात्वा-पद
त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २६७. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं— तद्यथा— १. कुछ पुरुष गंध लेने के बाद सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष गंध लेने के बाद दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष गंध लेने के बादन सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं ।
गंध अग्घइत्ता णामेगे णोसुमणेणोदुम्मणे भवति ।
२६८. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि
जहा -
तद्यथा—
गंध अग्धामीतेगे सुमणे भवति, गंध अग्धामीतेगे दुम्मणे भवति, गंध अग्धामीतेगे णोसुमणेणोदुम्मणे भवति ।
गन्धं जिघ्रामीत्येकः सुमनाः भवति, गन्धं जिघ्रामीत्येकः दुर्मनाः भवति, गन्धं जिघ्रामीत्येकः नोसुमनाः- नोदुर्मनाः भवति ।
१. कुछ पुरुष गंध लेता हूं इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष गंध लेता हूं इसलिए दुर्मनस्क होते हैं, ३. कुछ पुरुष गंध लेता हूं इसलिए न सुमनस्क होते हैं और न दुर्मनस्क होते हैं।
२६६. तओ पुरिसजाया पण्णत्ता, तं त्रीणि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २६६. पुरुष तीन प्रकार के होते हैंतद्यथा
जहा -
गंध अग्धाइस्सामीतेगे सुमणे गन्धं घ्रास्यामीत्येकः सुमनाः भवति, गन्धं घ्रास्यामीत्येकः दुर्मनाः भवति,
१. कुछ पुरुष गंध लेऊंगा इसलिए सुमनस्क होते हैं, २. कुछ पुरुष गंध लेऊंगा इसलिए दुर्मक होते हैं, ३. कुछ पुरुष गंध लेऊंगा
भवति,
पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि २६८. पुरुष तीन प्रकार के होते हैं—
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